DDA ने सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट खाली करने को दिया 30 नवंबर तक का टाइम, फ्लैट मालिकों को हर माह मिलेगा मोटा किराया
डीडीए के अधिकारी ने बताया कि सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में कुल 338 फ्लैट हैं। प्राधिकरण के पास अपार्टमेंट में 0.67 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है। यहां पर तीन और चार कमरों के 166 अतिरिक्त फ्लैट बनाए जाएंगे।

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट (Signature View Apartment) के निवासियों को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए 15 अक्टूबर तक का समय दिया है। इस अपार्टमेंट को असुरक्षित घोषित किया जा चुका है, इसलिए डीडीए इसे ध्वस्त करेगा। डीडीए की योजना यहां पर 166 अतिरिक्त फ्लैट बनाने की है।
अपार्टमेंट के निवासियों को ध्वस्तीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देना होगा। समझौते पर हस्ताक्षर करने की अंतिम समय सीमा 15 अक्टूबर है। इसके बाद इस अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को फ्लैट खाली करने के लिए 45 दिन का समय दिया जाएगा। समझौते के तहत निवासियों को 30 नवंबर तक फ्लैट खाली करने होंगे। इसके बाद डीडीए इलेक्ट्रिकल और रखरखाव जैसी सभी सेवाएं समाप्त कर देगा।
अगले साल जून तक ध्वस्तीकरण होगा
डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में कुल 338 फ्लैट हैं। प्राधिकरण के पास अपार्टमेंट में 0.67 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है। यहां पर तीन और चार कमरों के 166 अतिरिक्त फ्लैट बनाए जाएंगे। 30 नवंबर तक सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को ध्वस्त करने के लिए एजेंसी नियुक्त कर दी जाएगी। जून, 2024 तक अपार्टमेंट को ध्वस्त कर दिया जाएगा। फ्लैटों का निर्माण होने तक डीडीए एचआईजी फ्लैट मालिकों को 50 हजार और एमआईजी फ्लैट मालिकों को 38 हजार रुपये प्रति माह किराया देगा।
ट्विन टावर की तर्ज पर ध्वस्त होगा दिल्ली का सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट, एजेंसी नियुक्त करेगा डीडीए
गौरतलब है कि दिल्ली के मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को 2007-09 के बीच डीडीए ने ठेकेदार से बनवाया था। 2011-12 में यहां 336 एमआईजी और एचआईजी फ्लैट आवंटित किए गए, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता खराब होने के चलते दो से तीन वर्ष बाद ही फ्लैट की हालत जर्जर होने लगी। इसे लेकर यहां रहने वाले लोगों ने उपराज्यपाल से शिकायत की थी।
यह फ्लैट महज 10 वर्षों में ही पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। 2021-22 में आईआईटी से इनकी जांच करवाई गई, जिसमें इस अपार्टमेंट की इमारतों को असुरक्षित पाया गया। इसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने डीडीए को इमारत तोड़कर उसे दोबारा बनाने के निर्देश दिए थे।
