बेजुबान जानवरों के लिए जानलेवा बना कोरोना लॉकडाउन, सोहना में भूख से चार बंदरों की मौत
कोरोना लॉकडाउन के चलते देश के अधिकतर हिस्सों की तरह गुरुग्राम के सोहना शहर के गली-मोहल्लों और बाजारों में भी सन्नाटा पसरा है। इससे बेजुबान बंदरों को भोजन तक नहीं मिल पा रहा है।...

कोरोना लॉकडाउन के चलते देश के अधिकतर हिस्सों की तरह गुरुग्राम के सोहना शहर के गली-मोहल्लों और बाजारों में भी सन्नाटा पसरा है। इससे बेजुबान बंदरों को भोजन तक नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन तीन दिन में चार बंदरों की मौत हो चुकी है।
कोरोना वायरस के प्रकोप से देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। इस दौर में प्रवासियों के पलायन को रोकने और मजदूर व गरीब लोगों को दो वक्त का भोजन मुहैया कराने के लिए प्रशासनिक अमले और कई सामाजिक संगठनों ने अपनी सेवाएं देनी शुरू की हैं, पर दुकानें न खुलने से बंदरों को खाने को नहीं मिल रहा है।
नालियों में तलाश रहे भोजन : बंदरों को भोजन न मिलने से शहर की नालियों में खाना तलाशते इन्हें देखना आम होता जा रहा है। भोजन न मिलने से इनकी गतिविधियों में बदलाव देखा जा सकता है। सोहना में दवा की दुकान चलाने वाले दुकानदार कार्तिक ने बताया कि अनाज मंडी से लगते मंदिर के पास चार बंदरों की मौत हो चुकी है। उनका अनुमान है कि भोजन न मिलने से उनकी मौत हुई होगी। हालांकि इधर उन्होंने और उसके 3-4 दोस्तों ने तीन दिन से बंदरों को 25 से 30 दर्जन केले दिए हैं पर यह संख्या कम है।
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आक्रामक हो रहे बंदर : सोहना के वार्ड-19 के निवासी गिर्राज खटाना ने बताया कि भूखे रहने के कारण बंदरों का मिजाज बदल गया है। सुबह और शाम के समय कुछ बंदर आबादी क्षेत्र में नजर आते हैं। रास्तों में पैदल जाने वालों पर खीझते हैं। मकानों के छज्जों पर बैठे बंदर दरवाजा खोलने के साथ ही झपटते हैं। उनका कहना है कि बंदरों का ऐसा स्वभाव पहले नहीं देखा।
''शहर में बंदरों को भोजन नहीं मिल पा रहा है। इससे उनके सामने दिक्कत खड़ी हो गई है, हालांकि, वे खाने की तलाश में इन दिनों जंगल की तरफ जाते देखे जा रहे हैं। पेट भरने के लिए यहां इनको कंदमूल आदि मिलने की संभावना है।'' -राजेश चहल, जीव, जंतु विभाग के इंस्पेक्टर
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