कॉन्ट्रैक्ट कर्मी अन्य सरकारी कर्मचारी के बराबर तय लाभ का हकदार नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की पूर्व सैनिक की याचिका
मई 1963 में याचिकाकर्ता ने सेना में नौकरी शुरू की और 28 साल बाद मई 1991 में रिटायर हो गए। मई 1993 में उन्हें सेना की कैंटीन में कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया। अंतिम कॉन्ट्रैक्ट अवधि जनवरी 2002 तय थी

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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी अन्य सरकारी कर्मचारी के बराबर तय लाभ का दावा नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने पूर्व सैनिक की ओर से 19 साल पहले दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है। रिटायरमेंट के बाद सेना की कैंटीन में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले पूर्व सैनिक ने सरकारी कर्मचारियों की तरह 60 साल तक नौकरी करने की मांग की थी।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि सभी तथ्यों और कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद हम इस नतीजे पहुंचे हैं कि कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किए गए कर्मचारी ‘नियोक्ता और कर्मचारी’ के बीच हुए करार से विनियमित होता है, ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी, अन्य सरकारी कर्मचारियों के समान लाभ का दावा नहीं कर सकता है।’
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याचिकाकर्ता बुध राम को मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर 60 साल की उम्र तक नौकरी करने की अनुमति देने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि वह एक पेंशनभोगी था और बाद में उसे कॉन्ट्रैक्ट नियुक्ति दी गई थी। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने पूर्व सैनिक बुध राम की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।
सेना में 28 साल की सेवा के बाद शुरू की थी नौकरी
मई 1963 में याचिकाकर्ता ने सेना में नौकरी शुरू की और 28 साल बाद मई 1991 में रिटायर हो गए। मई 1993 में उन्हें सेना की कैंटीन में कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया। अंतिम कॉन्ट्रैक्ट की अवधि जनवरी 2002 तय की गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अन्य कर्मचारियों की तर्ज पर 60 साल तक की उम्र तक नौकरी करने देने की अनुमति मांगी थी।