गुरुग्राम में बैठकर विदेशियों को चूना लगाने वाले कॉल सेंटर का भंडाफोड़, अपनाते थे यह तरीका
सीबीआई ने छापा मारकर मौके से 130 कंप्यूटर हार्डडिस्क, 65 मोबाइल, पांच लैपटॉप, अभियोजन योग्य सामग्री, वित्तीय लेन-देन विवरण, कॉल रिकार्डिंग्स और पीड़ितों की जानकारियां आदि सामग्री बरामद कीं।
सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने गुरुग्राम में एक कॉलसेंटर पर कार्रवाई करते हुए 43 संदिग्ध साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बताया कि ये साइबर अपराधी विदेशी नागरिकों के कंप्यूटरों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने का वादा करके उनसे धोखाधड़ी करते थे और पैसा वसूलते थे।
एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि सीबीआई ने गुरुग्राम की DLF साइबर सिटी से संचालित ‘इनोसेंट टेक्नोलॉजी (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड’ नामक एक कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया और उसके कार्यालय पर छापा मारा। सीबीआई ने ‘ऑपरेशन चक्र-तीन’ के तहत यह कार्रवाई की है, जिसका लक्ष्य 2022 से विभिन्न देशों से संचालित ऑनलाइन वित्तीय अपराध नेटवर्क को तोड़ना है।
सीबीआई ने दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा में 7 स्थानों पर कार्रवाई करते हुए तलाशी ली। इस अभियान के दौरान साइबर अपराधों से जुड़े विशेषज्ञों वाला एक विशेष कार्यबल कॉलसेंटर पहुंचा, जहां उसे कई कर्मचारी ‘लाइव’ साइबर अपराध गतिविधियों में लगे हुए मिले। जिसके चलते टास्कफोर्स को आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य सामग्री भी हाथ लग गई।
इस बारे में शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, ‘सीबीआई इस संबंध में सुराग और आगे की कार्रवाई के लिए इंटरपोल के माध्यम से एफबीआई एवं कई देशों की कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ सक्रियता से समन्वय कर रही है।’
अधिकारियों ने बताया कि छापे के दौरान सीबीआई ने 130 कंप्यूटर हार्डडिस्क, 65 मोबाइल, पांच लैपटॉप, अभियोजन योग्य सामग्री, वित्तीय लेन-देन विवरण, कॉल रिकार्डिंग्स और पीड़ितों की जानकारियां, लोगों को शिकार बनाने के लिए बातचीत के लिप्यांतरण आदि जब्त किए।
सीबीआई ने आरोपियों की ठगी करने का तरीका बताते हुए कहा कि, कॉल सेंटर के कर्मचारी साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ बनकर विदेश में रहने वाले लोगों को निशाना बनाते थे। वे संभावित पीड़ितों को किसी भी तरह पॉप-अप पर क्लिक करने के लिए तैयार कर लेते थे, जिससे उनके सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाले मैलिसियस (गड़बड़ी वाले) सॉफ्टवेयर डाउनलोड हो जाते थे और उनके कंप्यूटर बंद हो जाते थे।
एजेंसी प्रवक्ता ने कहा, 'इसके बाद पीड़ितों से अपना कम्प्यूटर सिस्टम ठीक करने के बदले भुगतान करने के लिए कहा जाता था। यह भी पता चला है कि अपराध से होने वाली कमाई कई देशों से हांगकांग पहुंचाई जाती थी।'
उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई तब शुरू की गई जब सीबीआई को पता चला कि इस नेटवर्क में अंतरराष्ट्रीय साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों का समन्वय केंद्रों के माध्यम से किया जा रहा था, जिसका निर्देशन मुख्य रूप से गुरुग्राम के DLF साइबर सिटी से संचालित कॉल सेंटर से किया जा रहा था।