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तलाक के बाद बेटी माता-पिता की फैमिली पेंशन पाने की हकदार

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने कहा है कि तलाक के बाद बेटी माता-पिता की फैमिली पेंशन की हकदार है। न्यायाधिकरण ने महिला (बेटी) के हक में फैसला देते हुए फैमिली पेंशन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा...

तलाक के बाद बेटी माता-पिता की फैमिली पेंशन पाने की हकदार
प्रभात कुमार, नई दिल्लीSun, 19 Sep 2021 04:14 PM

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केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने कहा है कि तलाक के बाद बेटी माता-पिता की फैमिली पेंशन की हकदार है। न्यायाधिकरण ने महिला (बेटी) के हक में फैसला देते हुए फैमिली पेंशन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और नियमों को भी स्पष्ट किया है। 
न्यायाधिकरण ने केंद्र सरकार और उत्तर रेलवे की उन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि माता-पिता की मौत के बाद तलाक का फैसला होने पर बेटी फैमिली पेंशन पाने की अधिकारी नहीं होती है। न्यायाधिकरण के सदस्य मोहम्मद जमशेद ने कहा कि तलाक का फैसला होने में कई सालों का वक्त लगता है, ऐसे में माता-पिता के जीवन काल में तलाक लेने वाली बेटी को ही पेंशन की हकदार मानना अनुचित है। उन्होंने कहा है कि सिर्फ यह देखने की जरूरत है कि माता-पिता के जीवित रहने के दौरान तलाक की प्रक्रिया शुरू हुई हो।

यह टिप्पणी करते हुए न्यायाधिकरण ने रेलवे से याचिकाकर्ता अनिता को उसकी मां की मौत के बाद फैमिली पेंशन देने का आदेश दिया है। न्यायाधिकरण ने कहा है कि जहां तक मौजूदा मामले का सवाल है तो याचिकाकर्ता ने पारिवारिक विवाद के चलते अपनी मां के जीवित रहने के दौरान ही अदालत में तलाक के लिए याचिका दाखिल की थी। मरने से पहले उसकी मां ने अपनी सभी चल-अचल संपत्तियों का वारिस अपनी बेटी को ही घोषित किया है। न्यायाधिकरण ने कहा कि इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बेटी अपनी मां की मौत के बाद फैमिली पेंशन पाने की हकदार है। कैट ने इसके साथ ही रेलवे के दिसंबर, 2018 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि चूंकि याचिकाकर्ता का तलाक उसकी मां की मौत के बाद हुआ है, इसलिए उसे फैमिली पेंशन नहीं दिया जा सकता है।

तलाक होने के दिन से ही पेंशन देने का आदेश
न्यायाधिकरण ने रेलवे को याचिकाकर्ता के तलाक की डिग्री (फैसला) होने के दिन से उसे फैमिली पेंशन देने का आदेश दिया है। न्यायाधिकरण ने सरकार और उत्तर रेलवे को इस आदेश का पालन करने के लिए तीन माह का वक्त दिया है। साथ ही कहा कि पेंशन का पिछला बकाया भी याचिकाकर्ता को तीन माह के भीतर दिया जाए।

क्या है मामला
याचिकाकर्ता अनिता के पिता उत्तर रेलवे में नौकरी करते थे और 1994 में उनकी मौत हो गई। इसके बाद अनुकंपा के आधार पर याचिकाकर्ता की मां को उत्तर रेलवे में नौकरी मिल गई। याचिकाकर्ता ने न्यायाधिकरण को बताया कि 2010 में उनकी शादी हुई, लेकिन पारिवारिक विवाद के चलते जुलाई 2014 में उन्होंने हरियाणा के एक अदालत में पति से तलाक के लिए मुकदमा दाखिल किया। याचिकाकर्ता ने न्यायाधिकरण को बताया कि वर्ष 2015 में उनके तलाक का फैसला आने से पहले उनकी मां की मौत हो गई।

उन्होंने यह भी कहा था कि इसके बाद अपनी और अपने बच्चे की आजीविका के लिए उसके पास कुछ नहीं था तो उन्होंने रेलवे में प्रतिवेदन देकर तलाकशुदा बेटी होने के आधार पर फैमिली पेंशन की मांग की। इस मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने 2017 में भी रेलवे को समुचित निर्णय लेने को कहा था। लेकिन रेलवे ने दिसंबर, 2018 में फैसला करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता फैमिली पेंशन पाने की हकदार नहीं है। इसके बाद अनिता ने दोबारा न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल कर तलाकशुदा बेटी होने के आधार पर फैमिली पेंशन देने की मांग की थी।

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