भिखारी की हत्या और पड़ोसन से इश्क... 1 करोड़ रुपये के लालच में रचे कैसे-कैसे षड्यंत्र
ग्रेटर नोएडा के दनकौर में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की बीमा राशि हड़पने के लिए पारसौल के युवक ने भाई और पिता के साथ मिलकर जिस भिखारी को जिंदा जला दिया था, वह दनकौर क्षेत्र का रहने वाला था।

ग्रेटर नोएडा के दनकौर में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की बीमा राशि हड़पने के लिए पारसौल के युवक ने भाई और पिता के साथ मिलकर जिस भिखारी को जिंदा जला दिया था, वह दनकौर क्षेत्र का रहने वाला था। इस मामले में जांच के लिए अहमदाबाद पुलिस के नोएडा आने के बाद दनकौर पुलिस ने भी तफ्तीश शुरू कर दी है। अब नोएडा पुलिस वर्ष 2006 में लापता हुए व्यक्तियों का रिकॉर्ड खंगाल रही है।
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच पुलिस ने मुख्य आरोपी अनिल मलिक को गिरफ्तार कर 17 साल बाद इस मामले का खुलासा किया। अनिल मलिक ने एक करोड़ से ज्यादा की बीमा राशि हड़पने के लिए गांव के ही एक व्यक्ति को अपनी योजना में शामिल किया था। वो व्यक्ति ने ही दनकौर स्टेशन से रेल में सफर करने वाले उस भिखारी को बहला-फुसला कर अनिल मलिक के पास लाया था। हालांकि, वह व्यक्ति अब जीवित नहीं है।
अनिल मलिक की कार में 31 जुलाई 2006 को आग लगाई गई थी। कार में आरोपी अनिल मलिक ने खुद को मरा दिखाने के लिए भिखारी को नशे की गोलियां देकर जिंदा जला दिया था। यह भिखारी दनकौर रेलवे स्टेशन से दिल्ली तक की यात्री ट्रेनों में गाने गाकर पैसे मांगता था। उस समय के दैनिक यात्रियों ने बताया कि भिखारी रेल में नियमित सफर करता था।
क्षेत्र में 13 व्यक्तियों की गुमशुदगी दर्ज : पुलिस के अनुसार वर्ष 2006 में दनकौर थाना क्षेत्र से 13 व्यक्तियों की गुमशुदगी दर्ज हुई थी। इनमें से पांच महिलाएं और आठ पुरुष थे। एक व्यक्ति को छोड़कर सभी घर वापस आ गए। गुमशुदा हुई लड़कियों की शादी हो चुकी है, जबकि बाकी युवा और किशोर घर पर आ गए। पुलिस एक संभावना यह भी जता रही है कि दनकौर क्षेत्र से सिकंदराबाद और ककौड़ थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, इस कारण हो सकता है कि वह भिखारी इन दोनों थाना क्षेत्रों का मूल निवासी हो। इसकी जांच जारी है।
पुलिस ने गाजियाबाद में दबिश दी
अहमदाबाद पुलिस ने अनिल मलिक के भाई अभय मलिक और पिता विजयपाल मलिक की गिरफ्तारी के लिए गाजियाबाद के लोहिया नगर स्थित उनके घर पर दबिश दी, लेकिन दोनों वहां नहीं मिले। स्थानीय पुलिस के साथ अहमदाबाद पुलिस ने पूरे घर की तलाशी ली और बीमा कंपनी से संबंधित एक फाइल और अनिल मलिक का असली नाम वाला ड्राइविंग लाइसेंस बरामद किया। पुलिस वकील और पड़ोस के लोगों की मौजूदगी में फाइल और लाइसेंस बरामद कर अपने साथ ले गई। अहमदाबाद और यूपी पुलिस ने पड़ोसियों के हवाले से बताया कि अनिल मलिक की गिरफ्तारी की सूचना उसके भाई और पिता को मिल चुकी थी। इस कारण दोनों गिरफ्तारी से बचने के लिए घर से फरार हो गए।
पत्नी को भनक नहीं
बताया जा रहा है कि अनिल को अपने पड़ोस में रहने वाली महिला से प्यार हो गया था और वर्ष 2014 में दोनों ने शादी कर ली। पत्नी से पहचान छिपाने के लिए न तो अनिल अपने पैतृक शहर गया और न ही परिवार से संपर्क रखा। इसके चलते उसकी करतूत की भनक पत्नी तक को नहीं लगी।
-अशोक कुमार, एडिशनल डीसीपी ग्रेटर नोएडा, ''मामला काफी पुराना है, फिर भी वर्ष 2006 में गायब हुए लोगों के रिकॉर्ड की जांच कराई जाएगी। गुमशुदगी दर्ज हुई होगी तो ऐसे व्यक्ति की आसानी से शिनाख्त हो सकती है।''
