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निजी वाहनों पर प्रतिबंध या ऑड-ईवन ही विकल्प - ईपीसीए

सुप्रीम कोर्ट की ओर गठित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली में प्रदूषण से रोकथाम के लिए निजी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध या सम-विषम योजना लागू करने को ही एकमात्र विकल्प...

निजी वाहनों पर प्रतिबंध या ऑड-ईवन ही विकल्प - ईपीसीए
नई दिल्ली | वरिष्ठ संवाददाताThu, 15 Nov 2018 06:07 AM
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सुप्रीम कोर्ट की ओर गठित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली में प्रदूषण से रोकथाम के लिए निजी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध या सम-विषम योजना लागू करने को ही एकमात्र विकल्प माना है। इस संबंध में ईपीसीए के चेयरमैन डॉ. भूरे लाल ने बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव को पत्र लिखा है।

ईपीसीए चेयरमैन ने लिखा है कि निजी वाहनों पर पाबंदी लगाने को लेकर आपने अभी तक क्या किया है? इस बारे में टास्क फोर्स के साथ बैठक कर आगे की रणनीति से अवगत कराएं। उधर, टास्क फोर्स ने अभी तक उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए निजी वाहनों पर अंतिम फैसला लेने से पहले ईपीसीए से मिलने का समय मांगा है।

दिल्ली में ज्यादा दिन ट्रकों को आने से रोकना संभव नहीं 
पत्र में लिखा गया है कि ट्रक भी दिल्ली में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। दिल्ली में इनके प्रवेश पर रोक से वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ईपीसीए ने ट्रकों को ईर्स्टन व वेर्स्टन एक्सप्रेस वे की तरफ डायवर्ट करने का निर्देश जारी किया है, लेकिन तीन से चार रात से अधिक ट्रकों के प्रवेश पर दिल्ली में रोक लगान संभव नहीं है। 

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इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्यों के मुख्य सचिवों को निजी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने के कदम पर विचार करने को पत्र लिखा गया है। ऐसी स्थिति में निजी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने या सीएनजी वाहनों को छोड़कर सभी वाहनों के लिए ऑड-इवन लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। पत्र में सीपीसीबी से इन पहलूओं को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द अपने सुझाव से अवगत कराने को कहा गया है।

हवा खराब होने का अंदेशा 
ईपीसीए चेयरमैन ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि आने वाले महीनों में ठंड में बढ़ोतरी होने से नमी भी बढे़गी। इससे प्रदूषण के कण वायुमंडल में जमे रहेंगे। इस कारण आने वाले समय में दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर से खराब व गंभीर होने की संभावना है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर तैयारी करने की आवश्यकता है।

मजदूरों की चिंता 
पत्र में कहा गया है कि यह सब जानते हैं कि टास्क फोर्स के सुझाव के बाद ईपीसीए ने 1 से 12 नंवबर तक सभी निमार्णाधीन कार्यों व औद्योगिक इकाईयों पर रोक लगाने समेत ट्रकों के प्रवेश को प्रतिबंध करने का निर्देश जारी किया था। इससे प्रदूषण के रोकथाम में मदद मिली थी, लेकिन इससे मजदूर वर्ग की आजीविका पर असर पड़ा है, जो चिंता का विषय है।

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दिल्ली में 40 फीसदी प्रदूषण निजी वाहनों से
सफर की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में 40 फीसद हिस्सेदारी निजी वाहनों की है। पेरिस, बीजिंग जैसे शहरों के पास ऐसी आपातकालीन योजना है जिसमें नंबर, उम्र व ईंधन के आधार पर नंबर प्लेट तैयार कर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है।.

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