ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News NCRबाबा रामदेव बोले- राम का वनवास खत्म, अब अयोध्या में बनेगा राम मंदिर

बाबा रामदेव बोले- राम का वनवास खत्म, अब अयोध्या में बनेगा राम मंदिर

योग गुरु बाबा रामदेव ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। बाबा रामदेव ने कहा कि राम का वनवास ख़त्म, अब अयोध्या में राम मंदिर बनेगा। वहीं, उन्होंने सभी...

बाबा रामदेव बोले- राम का वनवास खत्म, अब अयोध्या में बनेगा राम मंदिर
ग्रेटर नोएडा | लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 09 Nov 2019 01:48 PM
ऐप पर पढ़ें

योग गुरु बाबा रामदेव ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। बाबा रामदेव ने कहा कि राम का वनवास ख़त्म, अब अयोध्या में राम मंदिर बनेगा। वहीं, उन्होंने सभी से फैसले को सहर्ष स्वीकार करने के साथ ही अराजक तत्वों से सावधान रहने की जरूरत की बात भी कही। बाबा रामदेव ने कहा कि इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

ग्रेटर नोएडा में एक योग सम्मेलन में भाग ले रहे बाबा रामदेव ने कहा कि हिन्दू और मुसलमान मिलकर भगवान राम के मंदिर का निर्माण करें। यही भारतीय संस्कृति है। देश में ऐसे तमाम मन्दिर और मस्जिद हैं, जिनका निर्माण मिलकर किया गया है। 

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने शनिवार को विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दे दी। इस मामले पर फैसला सुनाने वाली 5 जजों की संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने शनिवार को कहा कि इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि हिंदू मानते हैं कि भगवान राम विवादित स्थान पर पैदा हुए थे। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट में कही बात को मानते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था।

कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा केवल प्रबंधन का है। सरकार ने अखाड़े की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक योजना के तहत स्थापित न्यायालय को चाहिए कि वह उपासकों की आस्था और विश्वास में हस्तक्षेप करने से बचे। 

चीफ जस्टिस ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल विशेषता है और अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए। अदालत ने माना कि मीर बाकी द्वारा निर्मित मस्जिद बाबर के आदेश से बनी थी और मस्जिद के अंदर 1949 में मूर्तियों को रखा गया था। उन्होंने यह बात खचाखच भरे अदालत कक्ष में अयोध्या भूमि विवाद का एकमत फैसला पढ़ते हुए कही। इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि फैसला सर्वसम्मति से लिया जाएगा। 

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का घटनाक्रम

  • 1528 : मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया। 
  • 1885 : महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित ढांचे के बाहर शामियाना तानने की अनुमति मांगी। अदालत ने याचिका खारिज कर दी। 
  • 1949 : विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद में रामलला की मूर्तियां स्थापित की गईं। 
  • 1950 : रामलला की मूर्तियों की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की।
  • 1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा जारी रखने और मूर्तियां रखने के लिए याचिका दायर की। 
  • 1959 : निर्मोही अखाड़ा ने जमीन पर अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की।
  • 1961 : उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्थल पर अधिकार के लिए याचिका दायर की।
  • एक फरवरी 1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को पूजा के लिए हिंदू श्रद्धालुओं के लिए स्थान खोलने का आदेश दिया। 
  • 14 अगस्त 1989 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
  • छह दिसम्बर 1992 : रामजन्मभूमि - बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया।
  • तीन अप्रैल 1993 : विवादित स्थल में जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र ने अयोध्या में निश्चित क्षेत्र अधिग्रहण कानून पारित किया। अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गईं। इनमें इस्माइल फारूकी की याचिका भी शामिल। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 139ए के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रिट याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया जो हाईकोर्ट में लंबित थीं। 
  • 24 अक्टूबर 1994 : सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक इस्माइल फारूकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम से जुड़ी हुई नहीं है।
  • अप्रैल 2002 : हाईकोर्ट में विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू।
  • 13 मार्च 2003 : सुप्रीम कोर्ट ने असलम उर्फ भूरे मामले में कहा, अधिग्रहीत स्थल पर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है।
  • 30 सितम्बर 2010 : सुप्रीम कोर्ट ने 2 : 1 बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। 
  • 9 मई 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
  • 21 मार्च 2017 : सीजेआई जे एस खेहर ने संबंधित पक्षों के बीच अदालत के बाहर समाधान का सुझाव दिया।
  • सात अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया जो 1994 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
  • आठ फरवरी 2018 : सिविल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।
  • 20 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। 27 सितम्बर : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष भेजने से इंकार किया। मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को तीन सदस्यीय नई पीठ द्वारा किए जाने की बात कही।
  • 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उचित पीठ के समक्ष जनवरी के पहले हफ्ते में तय की जो सुनवाई के समय पर निर्णय करेगी। 24 दिसंबर : सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों पर चार जनवरी 2019 को सुनवाई करने का फैसला किया।
  • चार जनवरी 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक मामले में सुनवाई की तारीख तय करने के लिए उसके द्वारा गठित उपयुक्त पीठ दस जनवरी को फैसला सुनाएगी।
  • आठ जनवरी : सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया जिसकी अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति एन वी. रमन्ना, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ शामिल होंगे।
  • 10 जनवरी : न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने मामले से खुद को अलग किया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 जनवरी को नयी पीठ के समक्ष तय की।
  • 25 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का पुनर्गठन किया। नई पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर शामिल थे।
  • 29 जनवरी : केंद्र ने विवादित स्थल के आसपास 67 एकड़ अधिग्रहीत भूमि मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
  • 26 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का सुझाव दिया और फैसले के लिए पांच मार्च की तारीख तय की जिसमें मामले को अदालत की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए अथवा नहीं इस पर फैसला लिया जाएगा।
  • आठ मार्च : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए विवाद को एक समिति के पास भेज दिया जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला बनाए गए।
  • नौ अप्रैल: निर्मोही अखाड़े ने अयोध्या स्थल के आसपास की अधिग्रहीत जमीन को मालिकों को लौटाने की केन्द्र की याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया।
  • 10 मई: मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त तक समय बढ़ाई।
  • 11 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने “मध्यस्थता की प्रगति” पर रिपोर्ट मांगी।
  • 18 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति देते हुए एक अगस्त तक परिणाम रिपोर्ट देने के लिए कहा।
  • एक अगस्त: मध्यस्थता की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को दी गई।
  • दो अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता नाकाम होने पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई का फैसला किया।
  • छह अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना के आधार पर भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू की।
  • चार अक्टूबर: अदालत ने कहा कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर 17 नवंबर तक फैसला सुनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सुरक्षा प्रदान करने के लिये कहा। 
  • 16 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा।
  • नौ नवंबर : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन राम लला को दी, जमीन का कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए एक मुनासिब स्थान पर पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का भी निर्देश दिया।
हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें