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आत्मनिर्भरता की ओर डीएमआरसी का एक और कदम, स्वदेशी सिग्नल तकनीक से दौड़ेगी मेट्रो

इंजीनियरिंग के नए आयाम गढ़ने वाली दिल्ली मेट्रो ने मंगलवार को इंजीनियर्स डे पर देश को एक और तोहफा दिया। दिल्ली मेट्रो ने आई-एटीएस तकनीक के साथ देशी सिग्नलिंग तकनीकी ओर एक कदम बढ़ा दिया। साथ ही...

आत्मनिर्भरता की ओर डीएमआरसी का एक और कदम, स्वदेशी सिग्नल तकनीक से दौड़ेगी मेट्रो
वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्लीWed, 16 Sep 2020 06:53 AM
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इंजीनियरिंग के नए आयाम गढ़ने वाली दिल्ली मेट्रो ने मंगलवार को इंजीनियर्स डे पर देश को एक और तोहफा दिया। दिल्ली मेट्रो ने आई-एटीएस तकनीक के साथ देशी सिग्नलिंग तकनीकी ओर एक कदम बढ़ा दिया। साथ ही सीबीटीसी (कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल) आधारित सिग्नलिंग तकनीक को विकसित करने के लिए शास्त्री पार्क में एक प्रोटोटाइप आधुनिक प्रयोगशाला की शुरुआत की है।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा, डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह, भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) की निदेशक शिखा गुप्ता ने शास्त्री पार्क में इस प्रयोगशाला की शुरुआत की। अभी तक दिल्ली मेट्रो या देश के दूसरे सभी मेट्रो विदेशों में विकसित सिग्नलिंग प्रणाली का इस्तेमाल करते आए है। पहली बार दिल्ली मेट्रो ने आई-एटीएस (इंडियन ऑटोमैटिक ट्रेन सिस्टम) विकसित किया है।

इस मौके पर दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि वास्तव में गर्व का अवसर है। कुछ ऐसा होने जा रहा है जो आत्मनिर्भर भारत की और मजबूत बनाएगा। उन्होंने कहा कि हमने जिस तरह देश में मेट्रो के विकास के लिए स्वदेशीकरण को बढावा दिया है मुझे पूरा विश्वास है कि इस इंडियन सिस्टम को देश के बाहर भी विक्रय किया जाएगा और हम इस क्षेत्र में भी अग्रणी बन सकेंगे। डॉ. मंगू सिंह ने इस उपलब्धि को बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि मैं आश्वस्त हूं कि हम साथ मिलकर काम कर सकेंगे और स्वदेशी मेट्रो रेल के निर्माण और परिचालन के क्षेत्र में नए आयामों की तरफ बढ़ेंगे।

रेड लाइन पर होगा इस्तेमाल
दिल्ली मेट्रो ने कहा है कि रेड लाइन (रिठाला से शहीद स्थल गाजियाबाद) के बीच मौजूदा एटीएस (ऑटोमैटिक ट्रेन सुपरविजन) तकनीक की जगह भारत में निर्मित आई-एटीएस तकनीक के उपयोग का निर्णय लिया है। मेट्रो फेज चार में हो रहे निर्माण में भी इसी तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि रेलवे में भी इस तकनीकी का प्रयोग किया जा सकता है।

यूरोपीय देशों और जापान से आती है प्रणाली
डीएमआरसी के मुताबिक सीबीटीसी जैसी तकनीकी प्रणाली मुख्य रूप से यूरोपीय देशों और जापान द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। भारत सरकार के मेक इन इंडिया पहल के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने सीबीटीसी तकनीकी को भारत में बनाने का निर्णय लिया है। डीएमआरसी के साथ इसमें नीति आयोग, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, नीति आयोग, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और सी-डेक इस विकास कार्य के सहयोगी हैं। डीएमआरसी इस योजना का नेतृत्व करेगा।

सिमूलेटर भी भारत में विकसित करेगी मेट्रो
दिल्ली मेट्रो चालकों को प्रशिक्षित करने के लिए बनने वाले सिमुलेटर भी देश में विकसित करेगी। डीएमआरसी ने इसके लिए बीईएल से समौझता किया है। अभी मेट्रो पूरा सिस्टम आयात करती है। कंप्यूटर आधारित बैक एंड प्रणाली के साथ ट्रेन ड्राइविंग कैब स्थापित किया जाएगा, जहां ट्रेन ऑपरेटरों को ड्राइविंग और ट्रबलशूटिंग कौशलों का प्रशिक्षण देकर विभिन्न रियल लाइफ परिदृश्य उत्पन्न किया जाएगा।

क्या है आई-एटीएस
ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (एटीएस) एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली है, जो ट्रेन परिचालन को मैनेज करती है। यह सिस्टम मेट्रो जैसे थोड़े-थोड़े अंतराल वाले परिचालनों के लिए जरूरी होता है, जहां हर एक मिनट के बाद सेवाएं दी जाती हैं। आई-एटीएस स्वदेश में विकसित तकनीकी है, जिससे भारतीय मेट्रो की उन विदेशी कंपनियों पर निर्भरता काफी कम होगी जो ऐसी तकनीकि पर काम कर रही हैं।

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