30 लाख भारतीय छात्र गए विदेश, केंद्र की रिपोर्ट पर बोले AK; हमें अपनी क्षमता विकसित करनी होगी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारत को ऐसी क्षमता विकसित करनी चाहिए जिससे दुनिया भर के छात्र यहां आकर पढ़ने के लिए उत्सुक हो बजाए इसके कि हमारे युवाओं को विदेश जाना पड़े।
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केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि साल 2017 से 2022 के दौरान 30 लाख से अधिक भारतीय उच्च शिक्षा के लिए विदेश गये। अब इसपर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अरविंद केजरीवाल ने इस बात पर खेद जताया कि भारतीय यूक्रेन जैसे देश में मेडिसिन की पढ़ाई करने जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसी क्षमता विकसित करनी चाहिए जिससे दुनिया भर के छात्र यहां आकर पढ़ने के लिए उत्सुक हो बजाए इसके कि हमारे युवाओं को विदेश जाना पड़े।
केजरीवाल ने एक ट्वीट कर कहा, 'आजादी के 75 साल बाद अब हमें अपनी क्षमता को इस तरह से विकसित करना चाहिए कि पूरी दुनिया के युवा भारत में पढ़ने के लिए आएं। बजाए इसके कि हमारे देश के युवा विदेश में पढ़ने के लिए जाएं। भारत पढ़ाई के लिए दुनिया में नंबर वन स्थान बन सकता है।'
बता दें कि सदन में जनता दल (यू) के सांसद राजीव रंजन सिंह और अन्य सदस्यों के प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा, ''गृह मंत्रालय का आव्रजन ब्यूरो भारतीयों के प्रस्थान और आगमन के आंकड़े रखता है। लेकिन उच्च शिक्षा के लिए भारतीयों के विदेश जाने की श्रेणी के तहत जानकारी एकत्रित करने का कोई सूचकांक नहीं है। भारतीयों के उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की जानकारी या तो उनकी मौखिक घोषणा के आधार पर या आव्रजन मंजूरी के समय उनके द्वारा उपलब्ध कराये गये गंतव्य देश के वीजा के प्रकार के आधार पर जुटाई जा सकती है।''
सरकार ने कहा कि 7.50 लाख भारतीयों ने साल 2022 में विदेश जाने का अपना उद्देश्य अध्ययन या शिक्षा बताया। यह संख्या 2021 में 4.4 लाख, 2020 में 2.59 लाख, 2019 में 5.86 लाख, 2018 में 5.17 लाख और 2017 में 4.54 लाख थी। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में यह भी कहा कि इस समय सरकार का देश में कोई अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।