कृषि कानूनों की वापसी पर केजरीवाल ने जताई खुशी, बोले- आने वाली पीढ़ियां किसानों की एकता और संघर्ष को याद रखेंगी
केंद्र के तीन नए विवादित कृषि कानून रद्द होने पर आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताते हुए इस कदम को किसानों की जीत बताया...
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केंद्र के तीन नए विवादित कृषि कानून रद्द होने पर आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताते हुए इस कदम को किसानों की जीत बताया है। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को अब एक साल होने जा रहा है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं देश के सभी किसानों को बधाई देता हूं। उनके आंदोलन के परिणाम सामने आए। अगर ऐसा जल्दी किया जाता तो 700 किसानों की जान बचाई जा सकती थी। फिर भी, यह बड़ा कदम है। शायद भारत के इतिहास में पहली बार, सरकार एक आंदोलन के कारण 3 कानून वापस ले रही है।
केजरीवाल ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, ''आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी खुशखबरी मिली। तीनों कानून रद्द। 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन।''
कृषि कानून रद्द होने पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार को उन तमाम किसान परिवारों से माफी मांगनी चाहिए जिन्होंने इस आंदोलन की वजह से अपनी जान गंवाई। भाजपा के यही लोग थे जिन्होंने किसानों को आतंकवादी बताया था। सरकार का किसानों के साथ एक साल तक ऐसा व्यवहार करना गलत था।
आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द। 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 19, 2021
वहीं, तीनों कृषि कानून वापस होने का संयुक्त किसान मोर्चा ने स्वागत किया है। मोर्चा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए प्रकाश पर्व का दिन चुना है। हम उनके इस फैसले का स्वागत करते हैं। मगर हम इस फैसले के लागू होने की प्रक्रिया के पूरा होने का इंतजार करेंगे। मगर अभी भी एमएसपी जैसे मुद्दे की हमारी मांग पूरी नहीं हुई है। हम जल्द ही केंद्र के इस फैसले पर मोर्चा की बैठक बुलाएंगे और आगे का फैसला करेंगे।
बता दें कि, किसान बीते साल सितंबर में बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे थे। वहीं, केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही थी, जबकि आंदोलनकारी किसानों ने आशंका जताई थी कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते साल 26 नवंबर से हजारों की तादाद में किसान दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे थे। एमएसपी गारंटी कानून बनाने और कृषि कानूनों को रद्द कराने की जिद पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया था। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की थी। इस पर, बीच का रास्ता तलाशने के लिए केंद्र और किसानों के बीच 11 दौर की औपचारिक बातचीत हुई थी।