Are farmers protected against Covid Supreme court asks Centre cites Tablighi Jamaat event सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्या कोविड-19 से सुरक्षित हैं किसान? तबलीगी जमात जैसे न हो जाएं हालात, Ncr Hindi News - Hindustan
Hindi Newsएनसीआर NewsAre farmers protected against Covid Supreme court asks Centre cites Tablighi Jamaat event

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्या कोविड-19 से सुरक्षित हैं किसान? तबलीगी जमात जैसे न हो जाएं हालात

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर चिंता जताते हुए गुरुवार को केन्द्र से पूछा कि क्या ये किसान कोराना संक्रमण...

Praveen Sharma नई दिल्ली। भाषा, Thu, 7 Jan 2021 07:23 PM
share Share
Follow Us on
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्या कोविड-19 से सुरक्षित हैं किसान? तबलीगी जमात जैसे न हो जाएं हालात

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर चिंता जताते हुए गुरुवार को केन्द्र से पूछा कि क्या ये किसान कोराना संक्रमण से सुरक्षित हैं। तबलीगी जमात का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि कोरोना पर अंकुश पाने के लिए बने दिशानिर्देशों का पालन होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस महामारी पर काबू पाने के लिए लागू हुए लॉकडाउन के दौरान आनंद विहार बस अड्डे और निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने की घटना की सीबीआई जांच के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोरोना वायरस से किसानों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की।

केंद्र सरकार दो सप्ताह में दाखिल करेगी रिपोर्ट

चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस ए.एस, बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम की बेंच ने सुनवाई के दौरान केन्द्र से कहा कि आपको हमें बताना चाहिए कि क्या हो रहा है। किसानों के आंदोलन से भी वैसी ही समस्या पैदा होने जा रही है। हमें नही मालूम कि क्या किसान कोविड से सुरक्षित हैं? वही समस्या फिर पैदा होने जा रही है। ऐसा नहीं है कि सब कुछ बीत गया है। कोर्ट ने केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से जानना चाहा कि क्या विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान कोविड-19 से सुरक्षित हैं?

इस पर मेहता ने जवाब दिया कि निश्चित ही ऐसा नहीं है। मेहता ने कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करके बताएंगे कि क्या किया गया है और क्या करने की जरूरत है?

मौलाना साद को लेकर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा यह सवाल

यह याचिका वकील सुप्रिय पंडिता ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली पुलिस बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र होने से नहीं रोक सकी और निजामुद्दीन मरकज का मुखिया मौलाना साद अभी तक गिरफ्तारी से बच रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ओम प्रकाश परिहार ने कहा कि मौलाना साद के बारे में केन्द्र ने कोई बयान नहीं दिया है।

इस पर बेंच ने परिहार से सवाल किया कि आपकी दिलचस्पी एक व्यक्ति में क्यों हैं? हम कोविड के मुद्दे पर हैं। आप विवाद क्यों चाहते हैं? हमारी दिलचस्पी है कि कोविड दिशानिर्देशों का पालन होना चाहिए।

बेंच ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि कोविड संक्रमण फैले नहीं और इससे संबंधित दिशानिर्देशों का पालन हो। बेंच ने कहा कि नोटिस जारी किया गया है। इस पर प्रतिवादी अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करेंगे।

सीबीआई जांच की मांग पर केंद्र का जवाब

केन्द्र सरकार ने पिछले साल पांच जून को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि लॉकडाउन के दौरान आनंद विहार बस अड्डे पर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने और तबलीगी जमानत के कार्यक्रम के आयोजन की घटनाओं की दिल्ली पुलिस जांच कर रही है और इसमें सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है। इससे पहले, गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस द्वारा समय सीमा के भीतर जांच पूरी करने और अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने के प्रयासों के बारे में कोर्ट को विस्तार से अवगत कराया था।

गृह मंत्रालय ने कहा था कि दिल्ली के इलाकों में फर्जी खबरों और गलत जानकारी की वजह से हजारों कामगार पिछले साल 28 मार्च को आनंद विहार बस अड्डे और गाजीपुर सीमा पर एकत्र हो गए थे। मंत्रालय ने कहा था कि मौलाना साद के खिलाफ महामारी बीमारी कानून, आपदा प्रबंधन कानून और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच के दौरान विदेशी नागरिक कानून के तहत भी आरोप जोड़े गए थे।

मंत्रालय ने कहा था कि मरकज के मामले से निबटने में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई थी और पुलिस ने 21 मार्च को ही तबलीगी जमात मुखयालय के पदाधिकारियों से संपर्क कर उन्हें कोविड-19 से उत्पन्न हालात से अवगत कराया गया था और विदेशियों को वापस उनके देश भेजने का निर्देश दिया था।