सालों की कानूनी लड़ाई बाद बेटा बन सका मां का कानूनी उत्तराधिकारी
एक व्यक्ति को यह साबित करने के लिए लगभग तीन साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी कि वह अपनी मृत मां का बेटा है। प्रतीक कोहली को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र हाल ही में दिया गया, जब दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें वीना...
एक व्यक्ति को यह साबित करने के लिए लगभग तीन साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी कि वह अपनी मृत मां का बेटा है। प्रतीक कोहली को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र हाल ही में दिया गया, जब दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें वीना कोहली का कानूनी उत्तराधिकारी घोषित किया। वीना कोहली की मृत्यु 19 नवंबर, 2015 को हुई थी।
प्रतीक के वकील कुमार मिहिर ने बताया कि उन्होंने 2016 में कड़कड़डूमा कोर्ट में एक सिविल जज से संपर्क किया और अपीलकर्ता प्रतीक के पक्ष में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मांग की। हालांकि, 17 नवंबर, 2018 को सिविल जज ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसका मुख्य कारण यह रहा कि वकील यह साबित करने में विफल रहे कि प्रतीक मृतक वीना कोहली के बेटे हैं।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, प्रतीक के वकील मिहिर ने 24 दिसंबर, 2018 को कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) सुमित दास से संपर्क करके निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी।
HC के आदेश पर एक साल बाद युवक की संदिग्ध अवस्था में मौत का केस दर्ज
न्यायाधीश दास ने अपने हाल ही में सुनाए गए आदेश में राशन कार्ड और सीबीएसई प्रमाण पत्र की प्रति पर भरोसा किया और प्रतीक को मृतक महिला का कानूनी उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। एडीजे ने 17 नवंबर, 2018 को दीवानी न्यायाधीश के आदेश को खारिज कर दिया।
न्यायाधीश दास ने कहा, “मैं उपरोक्त टिप्पणियों को पारित करने के लिए विवश हूं, क्योंकि मेरी राय में निचली अदालत ने गंभीर रूप से संवेदनशील विषय को सरसरी तौर पर व बुद्धिरहित रूप से देख कर फैसला दिया।”
न्यायाधीश दास ने कहा, “राशन कार्ड की एक प्रति रिकॉर्ड के रूप में उपलब्ध है, जिस पर परिवार के मुखिया के रूप में सुरेश कोहली और प्रतीक कोहली के नाम दर्ज हैं। अपीलकर्ता (प्रतीक) का नाम उनके बेटे के रूप में दर्ज है।”