दिल्ली IAS कोचिंग हादसे पर हाई कोर्ट पहुंचा वकील, चीफ जस्टिस से कर दी बड़ी मांग
दिल्ली की कोचिंग में हुए हादसे को लेकर एक वकील दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश से इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेने और सुरक्षा ऑडिट का आदेश देने की मांग की है।
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में हुए कोचिंग हादसे को लेकर एक वकील हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। इस पत्र में वकील ने मांग की है कि इस हादसे पर मुख्य न्यायाधीश को स्वत: संज्ञान लें और पूरी दिल्ली में चल रहे ऐसे संस्थानों का एक सुरक्षा ऑडिट करने का आदेश जारी करें। शनिवार को दिल्ली की कोचिंग में हादसे पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखते हुए एडवोकेट सत्यम सिंह ने हाई कोर्ट से ऐसे संस्थानों की जांच करने की मांग की है। आइये जानते हैं वकील सत्यम सिंह ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में क्या-क्या लिखा है।
एडवोकेट सत्यम सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस को पत्र लिखते हुए कहा कि दिल्ली के कोचिंग में हुई घटना उन इलाकों में शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली एक बड़ी लापरवाही के पैटर्न का हिस्सा बन गई हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि इन इलाकों में चलने वाले कई कोचिंग संस्थान एमसीडी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए चलाए जा रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा कि इन इलाकों में बार-बार हो रही ऐसी घटनाएं सुरक्षा देने वाले सिस्टम की विफलता है। अपनी बात कहते हुए एडवोकेट सत्यम सिंह ने इस मामले पर चीफ जस्टिस से स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए एडवोकेट ने लिखा कि इन घटनाओं में युवाओं की जान जाने से बचाने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए न्यायालय द्वारा तुरंत और बड़ा ऐक्शन लेने की जरूरत है। उन्होंने आगे लिखा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि पब्लिक इंटरेस्ट के इस मामले पर संज्ञान लें और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए कड़ी और उचित कानूनी कार्रवाई करें।
क्या हैं मांगें
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में एडवोकेट सत्यम सिंह ने कई मांग करते हुए चिंता जताई। उन्होंने लिखा कि कोचिंग संस्थानों में नियम के अनुसार, आग से बचाव और इमरजेंसी में बाहर निकलने के लिए रास्ते और इन संस्थानों में छात्रों की भीड़ कम हो। इस दौरान उन्होंने पानी बढ़ने की समस्या का उपाय बताते हुए पानी निकलने की अच्छी व्यवस्था। सत्यम सिंह ने कहा कि ऐसा ना करने वाले संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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