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अगर दिल्ली दंगों में नेताओं के भाषण की सांठगांठ के सबूत मिले तो उन्हें भी नहीं छोड़ेंगे : दिल्ली पुलिस ने हाईककोर्ट को बताया

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को यह बताया है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं के भाषणों की जांच की जाएगी और यदि यह पाया जाता है कि...

अगर दिल्ली दंगों में नेताओं के भाषण की सांठगांठ के सबूत मिले तो उन्हें भी नहीं छोड़ेंगे : दिल्ली पुलिस ने हाईककोर्ट को बताया
नई दिल्ली। एएनआईTue, 14 Jul 2020 02:08 PM
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दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को यह बताया है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं के भाषणों की जांच की जाएगी और यदि यह पाया जाता है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में उनके भाषणों की कोई भूमिका या सांठगांठ थी तो उन पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित दलीलों एक बैच पर दायर अपने हलफनामे में कहा कि पुलिस अधिकारियों ने तुरंत सतर्कता दिखाते हुए और प्रभावी ढंग से बिना किसी भय या पक्षपात के कार्य किया, जिसके परिणामस्वरूप कुछ ही दिनों में हिंसा पर काबू पा लिया गया था।

हलफनामें में कहा गया है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, वारिस पठान सहित अन्य नेताओं के भाषणों की दिल्ली पुलिस द्वारा जांच की जा रही है और अगर यह साक्ष्य पाया जाता है कि उनके भाषण में दंगों के साथ कोई सांठगांठ थी तो इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और प्रतीक जालान की बेंच ने सोमवार को याचिका की सुनवाई 21 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी क्योंकि कुछ याचिकाकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दायर हलफनामे की कॉपी नहीं दी थी और अन्य ने इस मामले में अपना जवाब दोबारा दाखिल करने के लिए समय मांगा था। 

हलफनामे में, दिल्ली पुलिस ने कहा कि यचिकाकर्ताओं द्वारा जांच पर सवाल उठाने वाली ये याचिकाएं अपमानजनक और जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं हैं।

दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में  यह भी कहा है कि वर्तमान याचिका में याचिकाकर्ता इस अदालत में साफ-सुथरे हाथों के साथ नहीं आए हैं। उन्होंने चुनिंदा भाषणों और घटनाओं को चुना है। इसमें कहा गया है कि हिंसा की अन्य घिनौनी घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए याचिकाकर्ताओं द्वारा विशिष्ट घटनाओं के प्रति चयनात्मक आक्रोश, खुद प्रकट करता है कि वर्तमान याचिकाएं निष्पक्ष नहीं हैं और पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं, इसलिए उन्हें खारिज करने की आवश्यकता है।

हाईकोर्ट ने इससे पहले हिंसा रोकने के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों द्वारा कार्रवाई में देरी पर चिंता व्यक्त की थी और दिल्ली पुलिस को राजनीतिक नेताओं द्वारा भड़काऊ भाषणों से संबंधित वीडियो की जांच करने का निर्देश दिया था, जिससे कथित तौर पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा हुई थी।

गौरतलब है कि इस साल फरवरी माह में नागरिकता संशोधन कानू (सीएए) को लेकर दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में लगभग 53 लोगों की जान चली गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल भी हुए थे।  

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