एसिड अटैक के बाद टूट गई थी सीमा, दोस्त ने जगाया जीने का जज्बा; कमाल की लव स्टोरी
नोएडी के शीरोज कैफे में काम करने वाली सीमा जब 16 साल की थीं तब उनपर एसिड अटैक हुआ था। इस दौराव वह काफी टूट गईं। तभी दोस्त एक ऐसा दोस्त उनकी जिंदगी में आया जिसने उन्हें जीने की नई उम्मीद दी।
कुछ दोस्त ऐसे होते हैं, जो रिश्ते के लिए मिसाल बन जाते हैं। ऐसे ही दोस्त हैं सीमा और रूप राम, जो बाद में हमसफर बन गए। इनका रिश्ता इसलिए खास है कि क्योंकि सीमा तेजाब हमले में 50 झुलस गई थीं। दर्दनाक इलाज और समाज के तिरस्कार से जूझ रही सीमा को ऐसे वक्त में रूप राम की दोस्ती का सहारा मिला। रूप राम ने सीमा में जीने का जज्बा जगाया और उसका हाथ थाम कर हमसफर बना लिया।
नोएडा सेक्टर-21 ए स्थित शीरोज कैफे में काम करने वाली पच्चीस वर्षीय सीमा पिछले दो वर्ष से यहां नौकरी कर रहीं है। मूलरूप से अकबरपुर की रहने वाली सीमा ने बताया कि सन 2016 की घटना है, जब वह महज 16 वर्ष की थीं। कुछ विवाद होने पर उनके भाई के दोस्त ने भाई पर तेजाब से हमला किया, लेकिन सामने वह आ गईं। हादसे में उनका चेहरा और हाथ पैर जल गए। वह 50 प्रतिशत झुलस गईं। उन्हें लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। कई महीने तक बेहोशी की हालत में रहने के बाद जब होश आया तो पूरा शरीर और चेहरा बिगड़ गया था। एक साल बाद जब अस्पताल से छुट्टी मिली। वह पूरी तरह ठीक भी नहीं हुईं थीं, तभी उनसे छांव फाउंडेशन से जुड़े आलोक दीक्षित मिले। वह उन्हें बेहतर उपचार के लिए नोएडा लाए। यहां पर दो वर्षों में दस से अधिक ऑपरेशन के बाद वह चलने और बोलने लगीं। उन्हें यहीं पर कैफे में नौकरी मिल गई।
दोस्ती ने जीने के लिए उम्मीद दी
सीमा ने बताया कि नौकरी शुरू करने के दौरान उनकी मुलाकात 2019 में रूप राम से हुई। दोनों की दोस्ती हो गई। सीमा ने बताया कि लेजर सर्जरी के दर्दनाक इलाज और चेहरा खराब होने से उनको खुद से नफरत होने लगी थी। कई बार उनके मन में ख्याल आया कि जिंदगी को खत्म कर दूं। लेकिन रूपराम उनके इलाज के दौरान उनके साथ रहने लगे। वह उनके चेहरे और शरीर को लेकर उनसे बात करती तो वह एक अच्छे दोस्त की तरह उनको समझाते। वह तनाव से निकालने के लिए हमेशा प्रेरित करने लगे। उन्होंने बताया कि रूपराम से दोस्ती होने के बाद उनको जीने के लिए एक उम्मीद मिल गई।
परिजनों की नाराजगी के बाद भी थामा हाथ
सीमा ने बताया कि उनकी दोस्ती के बारे में जब रूपराम के परिजनों को जानकारी हुई, तो वह लोग उन्हें अपनाने को तैयार नहीं हुए। लेकिन रूपराम उनके साथ रहे और परिजनों को मनाया। इसके बाद परिवार उन्हें अपनाने को राजी हो गया। बीती 9 जुलाई 2024 को उनके घर अकबरपुर में वे शादी के बंधन में बंध गए। उन्होंने बताया कि शादी के बाद से वह बहुत खुश हैं, और रूपराम उनको नियमित आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
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