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आरुषि हत्याकांडः सीबीआई की गॉल्फ क्लब थ्योरी में कई छेद

कहा गया कि आरुषि-हेमराज पर गॉल्फ क्लब से वार किया गया। आपको बताते चलें कि 'क्लब' गॉल्फ स्टिक को ही कहा जाता है। 24 मई 2010 को एक अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि सीबीआई एक गायब गॉल्फ क्लब...

आरुषि हत्याकांडः सीबीआई की गॉल्फ क्लब थ्योरी में कई छेद
नई दिल्ली, हिन्दुस्तान टीमThu, 12 Oct 2017 11:48 PM
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कहा गया कि आरुषि-हेमराज पर गॉल्फ क्लब से वार किया गया। आपको बताते चलें कि 'क्लब' गॉल्फ स्टिक को ही कहा जाता है। 24 मई 2010 को एक अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि सीबीआई एक गायब गॉल्फ क्लब को ढूंढ़ रही है। हालांकि, सच ये है कि राजेश तलवार की गॉल्फ किट सभी 12 क्लब के साथ सीबीआई ने अक्तूबर 2009 में ही कब्जे में ले ली थी।

सीबीआई के जांचकर्ता एजीएल कौल ने डॉ. सुनील दोहरे से पूछा, ‘क्या आरुषि की हत्या गॉल्फ क्लब से हुई है।’ दोहरे का जवाब था, ‘आरुषि के माथे पर लगी चोट V-शेप में है। लगता है कि ये किसी भोथरी, भारी चीज से की गई है। हो सकता है ये गॉल्फ क्लब हो। यहां ये माना जा सकता है कि अगर हत्या का हथियार गॉल्फ क्लब हो भी तो वह कोई एक क्लब होगा। क्लब चार तरह के होते हैं- ड्राइवर, वुड, आइरन, पटर। हर टाइप का अलग शेप-साइज होता है। 

हत्या हथियार पर क्या कहा फॉरेंसिक लैब ने?

फॉरेंसिक लैब ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘जब सभी 12 गॉल्फ क्लब को माइक्रोस्कोप के नीचे देखा गया तो क्लब नंबर तीन और पांच के सिरे पर बेहद कम मात्रा में मिट्टी मिली। बाकी क्लब तकरीबन साफ थे। ज्यादा ही साफ क्लबों में एक ‘वुड’ था और दूसरा ‘आइरन’।”
ये रिपोर्ट सीबीआई के गॉल्फ किट कब्जे में लेने के आठ महीने बाद आई थी। सीबीआई ने थ्योरी दी कि जो ‘आइरन’ कमोबेश साफ हालत में है, हो न हो, कत्ल उसी से हुआ है। दिसंबर 2010 में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट के हिसाब से वह क्लब नंबर पांच था। लेकिन इस थ्योरी में एक छेद था। पांच नंबर का क्लब वह ‘आइरन’ नहीं था जिसे साफ किया गया था।

बदलता रहा कत्ल का हथियार

सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस की नजर में कत्ल का हथियार एक हथौड़ा था। एम्स की मेडिकल कमेटी ने आला-ए-कत्ल खुकरी बता दिया। सीबीआई के कौल ने इसे पांच नंबर का ‘आइरन’ बता दिया और ट्रायल कोर्ट में सीबीआई ने कहा कत्ल चार नंबर के ‘आइरन’ गॉल्फ क्लब से हुआ था।

गॉल्फ क्लब की थ्योरी में सबसे खास बात ये है कि उस दौरान बार-बार गायब गॉल्फ क्लब की बात खबरों में उछली लेकिन रिकॉर्ड में कहीं ये नहीं है कि अक्तूबर 2009 में सीबीआई के गॉल्फ किट कब्जे में लेने से पहले राजेश या नूपुर तलवार से गॉल्फ क्लब से जुड़ा कोई सवाल पूछा गया हो। 

हालांकि, सीबीआई के जांचकर्ता ए.जी.एल. कौल ने इसका बचाव यह कहकर किया कि वह तलवार के करीबी अजय चड्ढा से गॉल्फ क्लब के बारे में सवालात कर रहे थे और चड्ढा तलवार की ओर से जवाब दे रहे थे। दिलचस्प ये है कि तलवार ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने चड्ढा को कभी खुद के बदले जवाब देने के लिए तय नहीं किया था। 

(तथ्य, अविरूक सेन की किताब ‘आरुषि’ से लिए गए हैं)

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