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दिल्ली में अधिकारियों के तबादले पर बढ़ी रार, सुप्रीम कोर्ट पहुंची AAP सरकार; 16 होगी सुनवाई

फैसले के 24 घंटे के भीतर शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने एक बार फिर से शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए केंद्र पर अधिकारी के स्थानांतरण के आदेश को लागू नहीं करने का आरोप लगाया। 16 को सुनवाई होगी।

दिल्ली में अधिकारियों के तबादले पर बढ़ी रार, सुप्रीम कोर्ट पहुंची AAP सरकार; 16 होगी सुनवाई
Mohammad Azamहिंदुस्तान,नई दिल्लीSat, 13 May 2023 08:56 AM
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सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद भी केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच विवाद थमा नहीं है। फैसले के 24 घंटे के भीतर शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने एक बार फिर से शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए केंद्र पर अधिकारी के स्थानांतरण के आदेश को लागू नहीं करने का आरोप लगाया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष पेश होकर दिल्ली सरकार की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले का उल्लेख किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर अधिकारी के तबादले के आदेश को लागू नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गुरुवार को ही संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है। ऐसे में यह अदालत की अवमानना का मामला हो सकता है। सिंघवी ने इस मसले पर पीठ से तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया।

दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि वे (केंद्र) कह रहे हैं कि हम किसी का तबादला नहीं करेंगे। शीर्ष कोर्ट के दिए फैसले के मद्देनजर दिल्ली सरकार अवमानना याचिका दाखिल कर सकती है, लेकिन इसमें वक्त लगेगा। लिहाजा, मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह अगले हफ्ते मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेंगे।

क्या अधिकार मिले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा था कि सार्वजनिक आदेश, पुलिस और भूमि जैसे विषय छोड़कर अफसरों के स्थानांतरण और तैनाती व अन्य सेवाओं के बारे में विधायी तथा शासकीय अधिकार दिल्ली सरकार के पास हैं। 

सचिव को हटाया 
पीठ के फैसले के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली सरकार ने सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को पद से हटा दिया था। मोरे की जगह दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सीईओ एके सिंह को सेवा विभाग का सचिव नियुक्त करने का आदेश दिया।

तबादला क्यों रुका 
वहीं, सूत्रों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने सेवा सचिव के तबादले से पहले दिल्ली सिविल सर्विसेज बोर्ड (सीएसबी) की सहमति नहीं ली। उधर, सूत्रों का कहना है कि फैसले के बाद अभी गृह मंत्रालय से अधिसूचना जारी नहीं हुई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेवा विभाग को एलजी के कार्यक्षेत्र से हटाकर दिल्ली सरकार को दिया गया है।

याचिका पर 16 मई को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास विधायी और कार्यपालिका की शक्तियां हैं... सिर्फ कानून-व्यवस्था, पुलिस और जमीन इसका अपवाद है। आप उपराज्यपाल को यह सलाह क्यों नहीं देते हैं कि वह दिल्ली नगर निगम में सदस्यों को मनोनीत नहीं कर सकते हैं। उन्हें चुनी हुई सरकार की सलाह और सहयोग से काम करना है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 ‘एल्डरमैन’ के मनोनयन में उपराज्यपाल (एलजी) को दिल्ली सरकार की मंत्रिपरिषद के सहयोग और सलाह पर काम करना चाहिए। यह लगातार दूसरा दिन है, जब न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के रोजमर्रा के शासन में एलजी के अधिकारों में कटौती की है। एमसीडी में एल्डरमैन के मनोनयन को चुनौती देने वाली ‘आप’ सरकार की अर्जी पर शीर्ष अदालत ने एलजी के वकील को अपना पुराना जवाब वापस लेने की अनुमति दे दी कि उनको मंत्रिपरिषद के सहयोग और सलाह से काम करना चाहिए।

पीठ ने दिल्ली सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए 16 मई को सूचीबद्ध कर लिया और उपराज्यपाल कार्यालय को इस संबंध में नए सिरे से जवाब देने की अनुमति दे दी। अधिवक्ता शादान फरसात के माध्यम से याचिका दायर करके अरविंद केजरीवाल नीत सरकार ने मंत्रिपरिषद की सलाह के बगैर सदस्यों के मनोनयन के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती दी है। मनोनयन को रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका में अनुरोध किया गया है कि एलजी मंत्रिपरिषद की सलाह पर सदस्यों को मनोनीत करें।

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