जिसे CBI ने रंगे हाथों पकड़ा, उसे ही इतनी बड़ी जिम्मेदारी; LG वीके सक्सेना पर क्यों भड़की AAP?
आम आदमी पार्टी ने एलजी और केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एलजी वीके सक्सेना और केंद्र सरकार ने ऐसे शख्स को अहम जिम्मेदारी दी जिसे सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप में रंगे हाथों पकड़ा।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार और उपराज्यपाल पर बड़ा आऱोप लगाया है। यह आरोप दिल्ली के रोहिणी सेक्टर एक में मानसिक रूप से बीमार लोगों के शेल्टर होम आशा किरण में इस साल अब तक 14 लोगों की मौत से जुड़ा है। इन मौतों पर दिल्ली सरकार उपराज्यपाल और केंद्र पर निशाना साधती नजर आ रही है। दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने केंद्र और एलजी पर भ्रष्टाचार के आरोपों में पकड़े गए शख्स को शेल्टर होम की जिम्मेदारी देने का आरोप लगाया है। सौरभ भारद्वाज ने कहा, मेरा एलजी और केंद्र सरकार से सवाल है कि इतनी संवेदनशील पोस्टिंग में राहुल अग्रवाल को जिम्मेदारी क्यों दी गई? राहुल अग्रवाल वो एसडीएम हैं जो 2016 में रिश्वत लेने के आरोप में पकड़े गए थे''
सौरभ भारद्वाज ने कहा, केंद्र सरकार और एलजी ने जिस अधिकारी (वीके सक्सेना) को शेल्टर होम का प्रशासक नियुक्त किया है, उन्हें 2016 में सीबीआई ने भ्रष्टाचार करते हुए रंगे हाथों पकड़ा था।अधिकारी को पांच साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।मैं एलजी वीके सक्सेना से पूछना चाहता हूं कि इतने भ्रष्ट अधिकारी को किस आधार पर प्रशासक नियुक्त किया गया? प्रशासक को निलंबित क्यों नहीं किया गया?
एलजी वीके सक्सेना ने मांगी रिपोर्ट
इससे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने आशा किरण शेल्टर होम में रहने वालों की मौत समेत दिल्ली सरकार के सभी शेल्टर होम की स्थिति की जांच के निर्देश दिए थे और एक हफ्ते में इस पर एक रिपोर्ट मांगी थी। इस बारे में जानकारी देते हुए कहा गया था कि उपराज्यपाल ने आशा किरण शेल्टर होम में मृत लोगों के माता-पिता या अभिभावकों को उचित मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया है। सक्सेना ने शेल्टर होम के प्रशासक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए भी कहा है।
राज निवास के बयान में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने समाज कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) द्वारा संचालित सभी आश्रय गृहों के संचालन पर एक श्वेत पत्र तैयार करने को कहा है, जिसमें व्यय, सुविधाएं, वहां रहने वालों की संख्या, उपलब्ध चिकित्सा सुविधाएं शामिल हों। उपराज्यपाल ने इसे तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
रोहिणी में दिल्ली सरकार के ‘‘मानसिक रूप से कमजोर’’ लोगों के लिए आश्रय स्थल आशा किरण में एक महीने में 14 मौतें हुई हैं। मृतकों में 13 वयस्क और एक नाबालिग था। बयान में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, जो संबंधित अधिकारियों की ओर से ‘‘आपराधिक लापरवाही’’ की ओर इशारा करता है। उपराज्यपाल ने कहा है कि ‘‘संवेदनशीलता की कमी और निरीक्षण नहीं किया जाना न केवल ‘‘कर्तव्य के पालन में लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि सबसे असहाय और वंचित लोगों के खिलाफ ‘‘आपराधिक कृत्य’’ भी है, जिन्हें सरकार की देखभाल में सौंपा गया था।
भाषा से इनपुट
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