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तिहाड़ में पहली बार एक साथ 4 लोगों को हुई फांसी, ये हैं भारत में फांसी की सजा के चर्चित मामले  

दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया। यह पहली बार है जब तिहाड़ में पहली बार...

तिहाड़ में पहली बार एक साथ 4 लोगों को हुई फांसी, ये हैं भारत में फांसी की सजा के चर्चित मामले  
नई दिल्ली | लाइव हिन्दुस्तान टीम Fri, 20 Mar 2020 12:49 PM
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दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया। यह पहली बार है जब तिहाड़ में पहली बार एक साथ चार लोगों को फांसी दी गई है। इससे पहले 1983 में मुंबई की यरवदा जेल में एक साथ 4 दोषियों को फांसी दी जा चुकी है। 

निर्भया मामले के चारों दोषियों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और गुरुवार की रात तक इस मामले की सुनवाई चली। गैंगरेप और हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए डेथ वारंट जारी हुए, लेकिन हर बार फांसी टलती गई। अंतत: शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे चारों दोषियों को फांसी दे दी गई।

मेरठ के पवन जल्लाद ने चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाकर आजाद भारत में तिहाड़ जेल में हुई फांसियों को लेकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है। यहां एक ही अपराध के लिए चार दोषियों को एक साथ फांसी देने का यह रिकॉर्ड अब पवन के नाम है। पवन का परिवार कई पीढ़ियों से जल्लाद का काम करता आ रहा है। पवन के पर-दादा लक्ष्मण, दादा कालू जल्लाद और पिता मम्मू जल्लाद भी फांसी की सजा को क्रियान्वित करने का काम किया करते थे।

हालांकि, भारत में यह पहली बार नहीं है, जब चार दोषियों को एक साथ फांसी की सजा दी गई हो। इससे पहले भी देश में चार लोगों को पुणे की यरवदा जेल में एक साथ फांसी दी जा चुकी है। 27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर मामले में दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी।

गौरतलब है कि जनवरी 1976 और मार्च 1977 के बीच पुणे में राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कान्होजी जगताप और मुनव्वर हारुन शाह ने जोशी-अभयंकर केस में दस लोगों की हत्याएं की थीं। ये सभी हत्यारे अभिनव कला महाविद्यालय, तिलक रोड में व्यावसायिक कला के छात्र थे और सभी को 27 नवंबर 1983 को उनके आपराधिक कृत्य के लिए एक साथ यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।

भारत में चर्चित फांसी की सजा

नाथूराम गोडसे, हरियाणा (नवंबर 1949)

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को 15 नवंबर 1949 को हरियाणा की अंबाला जेल में फांसी दी गई थी। गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या करने से पहले नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को नमन भी किया था।

रंगा और बिल्ला, बिहार (जनवरी 1982)

रंगा और बिल्लाको 1978 में दिल्ली में दो भाई-बहन गीता और संजय चोपड़ा के अपहरण, रेप और हत्या का दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने 7 अप्रैल 1979 कोर्ट ने उन दरिंदों को सजाए मौत का ऐतिहासिक फैसला सुनाया और 31 जनवरी 1982 को दोनों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी।

सतंवत सिंह और कहर सिंह, दिल्ली (जनवरी 1989)

देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को 06 जनवरी 1989 को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी। सतवंत सिंह और बेअंत सिंह इंदिरा गांधी के सुरक्षा कर्मी थे। इस मामले में हत्या के बाद बेअंत सिंह को सुरक्षाकर्मियों ने मौके पर ही मार गिराया था, जबकि सतवंत सिंह को 10 गोलियां लगी थीं और उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

धनंजय चटर्जी, पश्चिम बंगाल (अगस्त 2004)

नाबालिग छात्रा से रेप कर हत्या करने के दोषी धनंजय चटर्जी को कोलकाता की अलीपुर जेल में 14 अगस्त, 2004 फांसी दी गई थी। अब से पहले यही वो तारीख है जब किसी रेपिस्ट को आखिरी बार फांसी की सजा दी गई थी। धनंजय की दया याचिका को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने ठुकराया था, जो खुद फांसी की सजा के विरोधी थे।  

आमिर अजमल कसाब, महाराष्ट्र (नवंबर 2012)

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 4 दिनों तक कत्लेआम मचाने वाले 10 आतंकियों में से जिंदा पकड़ा गए पाकिस्तानी आतंकी आमिर अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी। पाकिस्तान ने शुरुआत कसाब को अपना नागरिक ही मानने से इनकार कर दिया था, जबकि बाद में साबित हो गया कि वो पाकिस्तानी नागरिक ही था। किसी विदेशी नागरिक को फांसी देने का यह पहला मामला था।

अफजल गुरु, दिल्ली ( फरवरी 2013)

अफजल गुरु 2001 में भारत की संसद पर हुए आतंकी हमले का मुख्य अपराधी था। अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया गया था। अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की खबर मिलते ही काफी हंगामा कटा। अफजल के शव को परिवार वालों नहीं सौंपा गया, बल्कि तिहाड़ जेल परिसर में ही दफना दिया गया था।

याकूब मेमन, महाराष्ट्र (जुलाई 2015)

1993 के मुंबई सीरियल धमाके के दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई 2015 की सुबह नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटकाया गया था। मेमन की दया याचिका को जब राष्ट्रपति की ओर से खारिज कर दिया गया था, तब 30 जुलाई 2015 की आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला था। वकील प्रशांत भूषण सहित कई अन्य वकीलों की तरफ से देर रात को फांसी टालने के लिए अपील की गई थी। याकूब मेनन की फांसी को लेकर जमकर राजनीतिक बवाल हुआ। कुछ लोगों ने मेनन की फांसी को धर्म विशेष से जोड़कर भी हल्ला मचाया।

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