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गलत कोरोना जांच रिपोर्ट की वजह से 35 लोग आइसोलेशन वार्ड में भेजे गए, फिर हुआ ऐसा

कोरोना संक्रमण की गलत जांच रिपोर्ट ने 35 लोगों की जान आफत में डाल दी। निजी लैब से जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इन लोगों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा दिया गया, लेकिन दोबारा हुई जांच में...

गलत कोरोना जांच रिपोर्ट की वजह से 35 लोग आइसोलेशन वार्ड में भेजे गए, फिर हुआ ऐसा
नोएडा | राजेश शर्मा Wed, 10 Jun 2020 10:21 AM
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कोरोना संक्रमण की गलत जांच रिपोर्ट ने 35 लोगों की जान आफत में डाल दी। निजी लैब से जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इन लोगों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा दिया गया, लेकिन दोबारा हुई जांच में इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद इन मरीजों को घर भेज दिया गया है। गलत जांच रिपोर्ट देने वाली दिल्ली और गुरुग्राम की सात लैब के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी किया है।

जिला सर्विलांस अधिकारी की आठ जून की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे 20 मरीजों को ग्रेटर नोएडा के कैलाश अस्पताल से घर भेजा गया है जिनके नमूने क्रॉस जांच में सही नहीं मिले। इससे पहले 15 मरीजों के नमूने भी खरे नहीं उतरे थे। निजी लैब की सभी रिपोर्ट की क्रॉस जांच कराई जा रही है।

दोबारा जांच में हुआ खुलासा

निजी लैब से रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के दिन ही क्रॉस जांच के लिए नमूने ले लिए जाते हैं। इसकी रिपोर्ट दो-तीन दिनों में आती है। नोएडा सेक्टर-62 स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायलॉजिकल्स की लैब से क्रॉस जांच कराई जाती है।

''जिन लैब के नमूने क्रॉस जांच में फेल मिले हैं उन्हें नोटिस जारी किया है। जवाब आने पर कार्रवाई की जाएगी। वापस घर भेजे गए लोगों को एहतियातन होम क्वारंटाइन किया गया है।'' -डॉ. दीपक ओहरी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गौतमबुद्ध नगर

लापरवाही से संक्रमण का खतरा अधिक

पहले पॉजिटिव और फिर नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद घर भेजे जाने वालों में संक्रमण का खतरा हो सकता है क्योंकि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। जहां पहले से ही संदिग्ध और पॉजिटिव मरीज रहते हैं। हालांकि, अस्पताल ऐसे मरीजों को क्रॉस जांच की रिपोर्ट आने तक संदिग्ध मरीज की श्रेणी में रखते हैं।

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