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1984 सिख विरोधी दंगा मामला: 34 साल बाद आया फैसला, एक दोषी को फांसी तो दूसरे को उम्रकैद

1984 में भड़के सिख विरोधी दंगा मामले में महिलापुर इलाके में दो सिखों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए दो अभियुक्तों की सजा पर अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। अदालत ने अपने फैसले में एक अभियुक्त...

Family members of the victims of 1984 anti-Sikh riots stage a protest at Jantar Mantar, in New Delhi, on Nov 1, 2018. (PTI File Photo)
1/ 4Family members of the victims of 1984 anti-Sikh riots stage a protest at Jantar Mantar, in New Delhi, on Nov 1, 2018. (PTI File Photo)
1984 सिख दंगा मामले में पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर फैसले के इंतजार में खड़े पीड़ित परिवारों के लोग
2/ 41984 सिख दंगा मामले में पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर फैसले के इंतजार में खड़े पीड़ित परिवारों के लोग
पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर फैसले के इंतजार में इकट्ठे हुए पीड़ित परिवारों के लोग
3/ 4पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर फैसले के इंतजार में इकट्ठे हुए पीड़ित परिवारों के लोग
1984 सिख दंगा मामले में आने वाले फैसले के मद्देनजर पटियाला हाउस कोर्ट परिसर के अंदर तैनात पुलिस बल
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नई दिल्ली। लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 20 Nov 2018 05:34 PM
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1984 में भड़के सिख विरोधी दंगा मामले में महिलापुर इलाके में दो सिखों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए दो अभियुक्तों की सजा पर अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। अदालत ने अपने फैसले में एक अभियुक्त को फांसी तो दूसरे को उम्रकैद की सजा सुनाई है।  

फैसला सुनाने के लिए तिहाड़ जेल के अंदर ही अदालत लगाई गई। अदालत ने यशपाल को फांसी और नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में पहली बार किसी को मौत की सजा सुनाई गई है।

फैसला सुनाए जाने से पहले अदालत के बाहर मौजूद सैकड़ों की तादाद में मौजूद सिखों ने जमकर प्रदर्शन किया। हर हालत से निपटने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया था। हंगामे के आसार को देखते हुए पीड़ित व आरोपियों के परिवार के 2-2 सदस्यों के आलावा किसी को कोर्ट रूम में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

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ज्ञात हो कि पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय पांडे की अदालत ने सोमवार को दंगा पीड़ितों के समर्थकों की अधिक संख्या व हंगामा होने की स्थितियों के मद्देनजर मंगलवार को सीमित लोगों के अदालत कक्ष में प्रवेश के आदेश जारी कर दिए थे। अदालत ने कहा कि था पीड़ितों के साथ दो लोग कोर्ट रूम में आ सकते हैं। अभियुक्तों के साथ भी परिवार के एक-एक सदस्य यहां आ सकते हैं। इसके अलावा अभियोजन व बचाव पक्ष के वकील ही कोर्ट रूम में उपस्थित रहेंगे। मीडिया की तरफ से केवल मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही अदालत की सुनवाई में शामिल होने की अनुमति थी।  

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अदालत ने 1 नवंबर 1984 को महिलापुर इलाके में दो सिख युवाओं की हत्या के आरोप में दो स्थानीय लोगों नरेश सहरावत व यशपाल सिंह को दोषी ठहराया था। इन अभियुक्तों पर घटना वाले दिन पीड़ित परिवार की दुकान में लूट करने, दंगा फैलाने, दो सिख युवकों को जिंदा जलाकर मारने, मृतकों के भाइयों पर जानलेवा हमला करने का दोष साबित हुआ था। अदालत ने अपने फैसले में माना था कि बेशक इस मामले में फैसला आने में 34 साल लगे, लेकिन पीड़ितों को आखिर इंसाफ मिला है। अभियोजन ने अभियुक्तों के लिए फांसी की सजा मांगी थी।

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