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नाबालिग बेटे ने बीमार पिता को लिवर दान करने की अनुमति के लिए किया दिल्ली हाईकोर्ट का रुख

एक 17 वर्षीय लड़के ने अपनी मां के माध्यम से दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने पिता को अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने की अनुमति देने के लिए दिल्ली सरकार और इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी...

नाबालिग बेटे ने बीमार पिता को लिवर दान करने की अनुमति के लिए किया दिल्ली हाईकोर्ट का रुख
नई दिल्ली। एएनआईMon, 18 Oct 2021 05:26 PM

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एक 17 वर्षीय लड़के ने अपनी मां के माध्यम से दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने पिता को अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने की अनुमति देने के लिए दिल्ली सरकार और इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) को निर्देश देने की मांग की है। लड़के के पिता लिवर फेल्योर की एडवांस स्टेज में हैं।

याचिका के अनुसार, पिता का इलाज ILBS में चल रहा है, जो दिल्ली के एनसीटी सरकार के तहत एक स्वायत्त सोसाइटी है। याचिका में कहा गया है कि विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट में सुझाव दिया गया है कि याचिकाकर्ता के पिता का तत्काल लिवर ट्रांसप्लांट किए जाने की आवश्यकता है।

पीआर एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर (एलएलपी) लॉ फर्म के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि प्राधिकरण समिति / सक्षम प्राधिकारी ने हाल ही में याचिकाकर्ता द्वारा दान स्वीकार करने से इनकार कर दिया है क्योंकि उसकी उम्र 18 साल से कम थी।

याचिका में कहा गया है कि पिता की हालत खतरे में है और इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना है कि बीमारी अंतिम चरण में है और अगर तत्काल लिवर ट्रांसप्लांट नहीं किया गया तो याचिकाकर्ता के पिता के बचने की कोई संभावना नहीं है। याचिका में आगे कहा गया है कि याचिकाकर्ता की उम्र लगभग 17 साल, आठ महीने और 24 दिन है और वह 12वीं कक्षा का छात्र है।

याचिकाकर्ता स्थिति और इससे होने वाले जोखिम को भी समझता है। उसने स्वेच्छा से अपने बीमार पिता को लिवर का अपना हिस्सा दान करने का विकल्प चुना है जो परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। इसके अलावा उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। दूसरा कोई विकल्प तलाश करने के लिए याचिकाकर्ता के याचिकाकर्ता के पास काफी समय नहीं बचा है, क्योंकि उसके पिता गंभीर रूप से बीमार हैं।

इसने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले अस्पताल को इस मामले का फैसला करने के लिए दो दिन का समय दिया था।

याचिका में कहा गया है कि अस्पताल ने मामले की तात्कालिकता पर ध्यान दिए बिना समिति का गठन या मामले का फैसला नहीं किया और 7 अक्टूबर को, प्रतिवादी प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता को अपने लिवर के हिस्से को दान करने की अनुमति देने से इनकार करते हुए आदेश पारित किया। 

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