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दुनियाभर के 128 देशों में एडीज के डंक से 10 करोड़ लोग पड़ते हैं बीमार

दुनियाभर में कई प्रकार के मच्छर पाए जाते हैं। इनमें से छह प्रजातियों के मच्छर जानलेवा बीमारियां फैलाने के ज्यादा जिम्मेदार होते हैं। इनमें से एडीज मच्छर 128 देशों में हर साल करीब 10 करोड़ लोगों में...

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हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्ली | Wed, 21 Aug 2019 12:59 PM
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दुनियाभर में कई प्रकार के मच्छर पाए जाते हैं। इनमें से छह प्रजातियों के मच्छर जानलेवा बीमारियां फैलाने के ज्यादा जिम्मेदार होते हैं। इनमें से एडीज मच्छर 128 देशों में हर साल करीब 10 करोड़ लोगों में डेंगू का वायरस छोड़ता है। यही नहीं यह चिकनगुनिया के संक्रमण का भी वाहक है।

एडीज मच्छर : एडीज मच्छरों की एक प्रजाति है। ये मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, येलो फीवर, जीका, वेस्ट नाइल जैसी बीमारियों के जीवाणुओं का वाहक बनता है। ये ज्यादातर ऐसी जगहों पर पाया जाता है जहां बहुत पानी भरा होता है।

एनोफिलीज मच्छर : मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम फेल्सीपेरम, वाईवेक्स, ओवाले इत्यादि परजीवी द्वारा मानव शरीर में मलेरिया का आक्रमण होता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष यह 51 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है और 10 से 20 लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है।

क्यूलेक्स मच्छर : जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस का संक्रमण मादा क्यूलेक्स मच्छर के जरिए भी मनुष्यों तक पहुंचता है। भारत में इसका पहला मामला 1955 में दर्ज किया गया था। इस बीमारी में सिरदर्द, बुखार, अकड़न, मतिभ्रम, कंपकपी, लकवा के साथ संतुलन बनाने में तकलीफ आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

कुलिसेटा मच्छर : यह मच्छर ठंडी जगहों पर ज्यादा पाया जाता है। यह मच्छर ईस्टर्न इक्विन इंसेफ्लाइटिस नामक बीमारी घोड़ों और इंसानों में फैलाते हैं। मच्छरों के काटने के 4 से 10 दिन बाद इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं। यह काफी गंभीर बीमारी होती है जिससे मरीज के कोमा में जाने या मौत होने की आशंका होती है।

मनसोनिया मच्छर : यह मच्छर काले और भूरे रंग के होते हैं और अन्य मच्छरों की तुलना में इनका आकार थोड़ा बड़ा होता है। यह मच्छर वेनेजुएलियन इक्विन इंसेफ्लाइटिस नामक बीमारी फैलाते हैं। इसका उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में काफी प्रकोप है क्योंकि यह ज्यादातर ठंडी जगहों में पनपते हैं। भारत और दक्षिण एशिया में यह मच्छर ब्रूजियन फिलेरियासिस नामक बीमारी का कारण बनते हैं।

सोरोफोरा मच्छर : सोरोफोरा मच्छर सिर्फ इंसानों और जानवरों को काटते हैं। यह मच्छर सड़क किनारे गड्ढों में जमा पानी, तालाब और घास वाली जगहों पर ज्यादा पनपते हैं। यह मच्छर इंसानों में इक्विन इंसेफ्लाइटिस और वेस्ट नाइल जैसी बीमारियां फैलाते हैं। 

इन मौसम में रहें सावधान

  • बारिश के मौसम में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा सबसे अधिक होता है। बारिश के कारण जलजमाव होने से मच्छर तेजी से पनपते हैं और इस बीमारियों के वायरस को इंसानों में फैलाते हैं।
  • बहुत ज्यादा गर्मी और नमी के मौसम में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम, जापानी इंसेफ्लाइटिस के फैलने की रफ्तार बढ़ जाती है। इस मौसम में इसकी तीव्रता भी काफी बढ़ जाती है।

इन मच्छरों से होने वाली बीमारियां

  • मलेरिया : इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और उल्टियां शामिल हैं।

  • डेंगू : इसमें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द के साथ नाक व मसूड़ों से हल्का खून निकलना शामिल है।

  • चिकनगुनिया : चिकनगुनिया शरीर के समस्त जोड़ों को प्रभावित कर शरीर को भी काफी नुकसान पहुंचाता है। इसमें तेज बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और तेज सिर दर्द होता है।

  • लिम्फेटिक फिलेरियासिस : यह रोग लसिका प्रणाली (लिम्फेटिक सिस्टम) को नुकसान पहुंचाता है और इससे अंगों में सूजन होती है।

  • जीका फीवर : इसके लक्षणों में बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द या दाने होना शामिल हैं।

  • वेस्ट नाइल फीवर : यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। यह क्यूलेक्स मच्छर फैलाता है, जो गर्मियों में अधिक सक्रिय रहता है।

  • ईस्टर्न इक्विन इंसेफ्लाइटिस : मस्तिष्क कोशिकाओं एवं तंत्रिकाओं में सूजन आ जाने पर दिमागी बुखार आता है। मस्तिष्क का ज्वर संक्रामक नहीं होता, लेकिन इसका वायरस संक्रामक हो सकता है।

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में तेजी से पैर पसार रहा है मच्छरों का आतंक

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