Hindi Newsएनसीआर Newssonia gandhi voter list fraud case court decision today
सोनिया गांधी पर वोटर लिस्ट में धोखाधड़ी का आरोप, दिल्ली की कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

सोनिया गांधी पर वोटर लिस्ट में धोखाधड़ी का आरोप, दिल्ली की कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

संक्षेप: सोनिया गांधी पर 1981-82 में भारतीय नागरिकता के बिना ही वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने का आरोप है। इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट आज शाम 4 बजे अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।

Thu, 11 Sep 2025 12:46 PMAnubhav Shakya लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, एएनआई
share Share
Follow Us on

देश की राजधानी में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ वोटर लिस्ट में कथित धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट आज शाम 4 बजे अपना फैसला सुनाएगी। यह मामला तब सुर्खियों में आया, जब एक शिकायत में आरोप लगाया गया कि सोनिया गांधी ने भारतीय नागरिकता हासिल करने से पहले वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल करवाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

LiveHindustan को अपना पसंदीदा Google न्यूज़ सोर्स बनाएं – यहां क्लिक करें।

क्या है पूरा मामला?

शिकायतकर्ता के वकील विकास त्रिपाठी ने कोर्ट में दावा किया है कि 1980-81 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम शामिल किया गया था, जबकि उस समय वह भारतीय नागरिक नहीं थीं। त्रिपाठी का कहना है कि भारतीय नागरिकता के बिना वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाना गैरकानूनी है। उनके मुताबिक, सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को ही नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत भारतीय नागरिकता हासिल की थी। फिर भी, 1981-82 की वोटर लिस्ट में उनका नाम मौजूद था, जो सवालों के घेरे में है।

कोर्ट में क्या हुआ?

बुधवार को एसीजेएम वैभव चौरसिया ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और शिकायतकर्ता के वकील से कुछ सवाल पूछने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ वकील पवन नारंग, अनिल सोनी, नीरज और हिमांशु सेठी ने कोर्ट में पक्ष रखा। नारंग ने जोर देकर कहा, ‘वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने की पहली शर्त है भारतीय नागरिकता। जनवरी 1980 में सोनिया गांधी भारतीय नागरिक नहीं थीं। फिर उनका नाम मतदाता सूची में कैसे आ गया?’

उन्होंने यह भी बताया कि 1982 में सोनिया का नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया था, लेकिन 1983 में, जब वह भारतीय नागरिक बनीं, उनका नाम फिर से सूची में शामिल हो गया। नारंग का दावा है कि यह पूरी प्रक्रिया संदिग्ध है और इसमें जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल हो सकता है।

'यह सियासी नहीं, कानूनी मामला है'

शिकायतकर्ता के वकील ने कोर्ट में यह साफ किया कि यह मामला राजनीति से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह एक कानूनी उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। नारंग ने 1985 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें पुष्टि की गई थी कि सोनिया गांधी 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिक बनी थीं। उनका तर्क है कि इससे पहले वोटर लिस्ट में उनका नाम होना गैरकानूनी था और यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसकी पुलिस को जांच करनी चाहिए।

शिकायतकर्ता की मांग

शिकायत में मांग की गई है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाए और कथित अपराध की पूरी जांच हो। त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने दिल्ली पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्हें कोर्ट का रुख करना पड़ा।

राउज एवेन्यू कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी होने के बाद अब सबकी नजरें आज के फैसले पर टिकी हैं। क्या कोर्ट इस मामले में जांच का आदेश देगा? या फिर यह दशकों पुराना मामला यहीं खत्म हो जाएगा?

Anubhav Shakya

लेखक के बारे में

Anubhav Shakya
भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद जी न्यूज से करियर की शुरुआत की। इसके बाद नवभारत टाइम्स में काम किया। फिलहाल लाइव हिंदुस्तान में बतौर सीनियर कंटेंट प्रोड्यूसर काम कर रहे हैं। किताबों की दुनिया में खोए रहने में मजा आता है। जनसरोकार, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में गहरी दिलचस्पी है। एनालिसिस और रिसर्च बेस्ड स्टोरी खूबी है। और पढ़ें
लेटेस्ट Hindi News, बॉलीवुड न्यूज , बिजनेस न्यूज , क्रिकेट न्यूज , धर्म ज्योतिष , एजुकेशन न्यूज़ , राशिफल और पंचांग पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।