Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Saints should not be concerned with defamation: Delhi HC on Avimukteshwaranand civil suit against Govindananda Saraswati

‘संतों को मानहानि की चिंता नहीं करनी चाहिए’; गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ अविमुक्तेश्वरानंद के मुकदमे पर बोला दिल्ली HC

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संतों को मानहानि से चिंतित नहीं होना चाहिए और सुझाव दिया कि सम्मान और प्रतिष्ठा कानूनी लड़ाई के बजाय कामों के माध्यम से प्राप्त की जाती है।

Praveen Sharma नई दिल्ली। एनआईTue, 13 Aug 2024 08:42 AM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ दायर दीवानी मानहानि मुकदमे के संबंध में अंतरिम निषेधाज्ञा अर्जी पर मंगलवार को नोटिस जारी किया। जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संतों को मानहानि से चिंतित नहीं होना चाहिए और सुझाव दिया कि सम्मान और प्रतिष्ठा कानूनी लड़ाई के बजाय कामों के माध्यम से प्राप्त की जाती है।

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार को गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन पर आरोप लगाया गया था कि अविमुक्तेश्वरानंद एक "नकली बाबा" हैं और उन्हें कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक समर्थन प्राप्त है।

अदालत ने कहा, "एक संत की वास्तविक प्रतिष्ठा ऐसे विवादों से प्रभावित नहीं होती है, जिसका अर्थ है कि मानहानि के लिए कानूनी उपाय की तलाश करने के बजाय संत के आचरण और चरित्र पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।" 

सुनवाई के अंत में, न्यायालय ने अंतरिम निषेधाज्ञा अर्जी के संबंध में नोटिस जारी कर इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को तय कर दी। अदालत ने सुनवाई के इस चरण में कोई अंतरिम एकपक्षीय आदेश नहीं दिया, जो यह दर्शाता है कि जब तक दोनों पक्षों की सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक कोई अस्थायी निषेधाज्ञा जारी नहीं की जाएगी।

अविमुक्तेश्वरानंद के वकील ने तर्क दिया कि गोविंदानंद ने उन्हें "फर्जी बाबा", "ढोंगी बाबा" तथा "चोर बाबा" कहने सहित कई अपमानजनक बयान दिए।

इसके साथ ही वकील ने यह भी दावा किया कि गोविंदानंद ने अविमुक्तेश्वरानंद पर अपहरण, हिस्ट्रीशीटर होने, 7000 करोड़ रुपये का सोना चुराने तथा साध्वियों के साथ अवैध संबंध रखने जैसे गंभीर आपराधिक गतिविधियों के आरोप लगाए। यदि ये आरोप झूठे तथा हानिकारक सिद्ध होते हैं, तो वे मानहानि के दावे को पुष्ट कर सकते हैं।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के वकील ने साफ किया कि गोविंदानंद सरस्वती ने दावा किया कि अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ आपराधिक मामले थे, जबकि अखिलेश यादव सरकार के दौरान दायर एकमात्र प्रासंगिक मामला बाद में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा वापस ले लिया गया था।

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने हाल ही में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। गोविंदानंद ने दावा किया कि अविमुक्तेश्वरानंद एक "नकली बाबा" हैं और उन पर लोगों की हत्या और अपहरण सहित गंभीर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। उन्होंने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य बताने के लिए मीडिया की आलोचना की और कहा कि वे साधु-संत या संन्यासी जैसी उपाधियों के लायक नहीं हैं। 

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