
कानून नहीं पता? दिल्ली पुलिस को बिना बताए उठाने पर बिफरा HC, राजस्थान पुलिस को फटकार
संक्षेप: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली से 2 नाबालिगों को उनके माता-पिता और स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ्तार करने के लिए राजस्थान पुलिस को तगड़ी फटकार लगाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या बातें कही… जानें
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली से 2 नाबालिगों को उनके माता-पिता और स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ्तार करने के लिए राजस्थान पुलिस को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने राजस्थान पुलिस से ताबड़तोड़ सवाल दागते हुए कहा कि क्या आपको कानून नहीं पता? आपने हमारे क्षेत्राधिकार से कैसे उठाया। क्या हम आपका मामला सुप्रीम कोर्ट को भेजें?
जस्टिस ज्योति सिंह और जस्टिस अनीश दयाल की पीठ ने नाबालिगों में से एक की मां की ओर से दाखिल की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान पुलिस से कानून का उल्लंघन करने के लिए सवाल किया। अदालत ने पाया कि वे एक आदिवासी शख्स देवा पारधी के रिश्तेदार थे। देवा की अप्रैल में मध्य प्रदेश पुलिस की हिरासत में कथित तौर पर मौत हो गई थी।
याचिकाकर्ता महिला का दावा है कि 26 सितंबर को उसके 15 साल के बेटे समेत उसके रिश्तेदार के 17 साल बेटे को सादे कपड़ों में अज्ञात लोग अवैध रूप से जबरन अपने साथ ले गए। अदालत ने राजस्थान पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे क्षेत्राधिकार से आप कैसे ले गए? क्या आपको कानून नहीं पता? आप ले कैसे गए? वह भी दिल्ली पुलिस को बिना बताए? आपका मामला सुप्रीम कोर्ट भेज दें?
राजस्थान पुलिस के एक अधिकारी ने अदालत को बताया कि उनके पुलिस थाने के अधिकारियों की एक टीम 25 सितंबर को दिल्ली पहुंची थी। जांच के बाद नाबालिगों को गिरफ्तार किया था। हालांकि, उन्होंने माना कि दिल्ली पुलिस को जांच के दौरान या गिरफ्तारी से पहले नहीं बताया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि दोनों थानों में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने के कई प्रयास बेकार साबित हुए।
दिल्ली के जनकपुरी स्थित भारती कॉलेज के पास दशहरा पार्क में रेहड़ी-पटरी पर खिलौने बेचने वाली याचिकाकर्ता महिला ने आरोप लगाया कि उसके रिश्तेदार रात लगभग नौ बजे जनकपुरी पुलिस थाने गए। वहां उनको हरि नगर पुलिस थाने जाने को कहा गया लेकिन पता नहीं चल पाया कि बच्चे कहां हैं। इस वजह से याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया।
पीठ ने कहा कि यह देखते हुए कि गिरफ्तार किए गए बच्चे देवा पारधी के रिश्तेदार हैं। अदालत निर्देश देती है कि स्थिति रिपोर्ट राजस्थान के अजमेर की पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा के हस्ताक्षरों के साथ दाखिल की जाएगी। सनद रहे सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर को कथित हिरासत में हुई मौतों के एक मामले की सुनवाई करते हुए फरार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने में देरी के लिए मध्य प्रदेश सरकार और सीबीआई को फटकार लगाई थी।





