पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 सितंबर तक बढ़ाई पूर्व IAS अफसर की अग्रिम जमानत
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूजा खेडकर को यूपीएससी परीक्षा में फर्जी पहचान के आधार पर निर्धारित सीमा से अधिक परीक्षा देने के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की अवधि 5 सितंबर तक बढ़ा दी है।
बर्खास्त पूर्व प्रोबेशनरी आईएएस अफसर पूजा खेडकर (Puja Khedkar) को दिल्ली हाईकोर्ट से फिर से थोड़ी राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूजा खेडकर को यूपीएससी परीक्षा में फर्जी पहचान के आधार पर निर्धारित सीमा से अधिक परीक्षा देने के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की अवधि 5 सितंबर तक बढ़ा दी है।
पिछले महीने यूपीएससी ने पूजा खेडकर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी, जिसमें फर्जी पहचान के आधार पर सिविल सेवा परीक्षा में परीक्षा देने के लिए उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, आईटी एक्ट और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की है।
31 जुलाई को यूपीएससी ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में शामिल होने से वंचित कर दिया था।
बुधवार को पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उनके चयन और नियुक्ति के बाद यूपीएससी के पास उन्हें अयोग्य ठहराने का अधिकार नहीं है और उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई केवल केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा ही की जा सकती है।
पूजा खेडकर ने यूपीएससी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी के आरोपों का खंडन करते हुए चार पन्नों का जवाब दाखिला किया। अपने जवाब में पूजा ने दावा किया कि उन्होंने 2012 से 2022 तक न तो अपना फर्स्ट नेम और सरनेम बदला है और ना ही आयोग के सामने अपने नाम में हेरफेर किया है या गलत जानकारी दी है।
जवाब में कहा गया है, “आवेदक के फर्स्ट नेम और सरनेम में 2012 से 2022 तक कोई बदलाव नहीं हुआ है, जैसा कि सभी डीएएफ में लगातार दर्शाया गया है। आवेदक ने यूपीएससी के सामने अपने नाम में हेरफेर या गलत जानकारी नहीं दी है। शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन्म तिथि और व्यक्तिगत जानकारी सहित अन्य सभी विवरण डीएएफ में एक समान रहे हैं।”
यह जवाब पूजा खेडकर द्वारा दायर की गई याचिका में दिया गया, जिसमें उन्होंने फर्जी पहचान के जरिये यूपीएससी परीक्षा में तय सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पूर्व जमानत की मांग की थी।
20 अगस्त को दाखिल अपने जवाब में यूपीएससी ने गिरफ्तारी से पूर्व जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि उन लोगों से संबंधित सच्चाई को उजागर करने के लिए पूजा खेडकर से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है, जिसने एक ऐसी योजना बनाई जिससे वह सीएसई-2022 में अपना प्रोविजनल सिलेक्शन सुरक्षित कर सके।
यूपीएससी के हलफनामे का जवाब देते हुए पूजा खेडकर ने अपने जवाब में दावा किया कि पेश किए गए कोई भी दस्तावेज जाली, मनगढ़ंत या बनाए नहीं गए थे और सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किए गए थे। उन्होंने कहा कि वह गिरफ्तारी से पहले जमानत की हकदार हैं और उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयोग के पास पहले से ही 11 दस्तावेज हैं और उनसे कोई और दस्तावेज मांगे जाने की आवश्यकता नहीं है।
बता दें कि, 21 अगस्त को हाईकोर्ट ने खेडकर को गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम राहत 29 अगस्त तक बढ़ा दी थी, हालांकि दिल्ली पुलिस और यूपीएससी ने इसका विरोध किया था।
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