ऋण दिलाने का झांसा देकर 500 से अधिक लागों को ठगने वाले दो गिरफ्तार
नोएडा के सेक्टर-113 थाना पुलिस ने ऋण दिलाने के नाम पर 500 से अधिक लोगों से ठगी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों के पास से 50 हजार रुपये, 20 मोबाइल फोन, 128 डेबिट कार्ड और अन्य सामग्री...

-आरोपियों से 50 हजार रुपये, 20 मोबाइल फोन, 128 डेबिट कार्ड, 77 सिम कार्ड बरामद -खुद को बेंगलुरु की एक प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी होने का बहाना बनाकर ठगी करते थे -सेक्टर-113 थाना पुलिस ने चेकिंग के दौरान एफएनजी मार्ग से दोनों आरोपियों को दबोचा नोएडा, संवाददाता। सेक्टर-113 थाना पुलिस ने ऋण दिलाने के नाम पर 500 से अधिक लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के दो जालसाजों को बुधवार रात एफएनजी मार्ग से चेकिंग के दौरान गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपी खुद को बेंगलुरु स्थित एक प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी बताते थे। वे लोगों से दो से तीन हजार रुपये प्रक्रिया शुल्क के नाम पर वसूलते थे।
डीसीपी यमुना प्रसाद ने बताया कि पुलिस की टीम बुधवार रात एफएनजी मार्ग पर चेकिंग कर रही थी, तभी बाइक सवार दो संदिग्ध आते दिखाई दिए। उन्हें रुकने का इशारा किया गया तो वे भागने लगे। टीम ने पीछा करके दोनों को दबोच लिया। तलाशी ली तो उनके पास से 50 हजार रुपये, 20 मोबाइल फोन, 128 डेबिट कार्ड, 77 मोबाइल सिम कार्ड, विभिन्न बैंकों की नौ पासबुक, तीन किट, सात क्यूआर कोड और एक बाइक बरामद हुई। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान बिहार के जिला छपरा के फैयाज आलम और आकाश कुमार के रूप में हुई। दोनों वर्तमान में सेक्टर-63 थाना क्षेत्र के बहलोलपुर गांव में किराये पर रहते हैं। दोनों की उम्र 21-22 वर्ष है। दोनों 10वीं और 12वीं पास हैं। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे ऑनलाइन ऋण के लिए आवेदन करने वाले लोगों से संपर्क करते। वे उन्हें खुद को बेंगलुरु स्थित एक प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी बताते। लोगों से ऋण लेने के लिए आवेदन कराते। उनसे आवेदन की प्रक्रिया शुल्क के नाम पर दो से तीन हजार रुपये तक वसूल लेते। रुपये लेने के बाद लोगों से संपर्क तोड़ लेते। रकम कम होने के कारण पीड़ित पुलिस के पास नहीं जाते। ---------- देशभर के लोगों को फंसाया पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से देश के अलग-अलग राज्यों के लोगों का डाटा जैसे आधार कार्ड, पेन कार्ड, ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर आदि जुटा लेते थे। इसके बाद उनसे संपर्क करके खुद को प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी होने का दावा करते थे। इसके बाद ठगी करते थे। ---------- लोगों के बैंक खाते भी खुलवाते थे आरोपी आरोपियों ने बताया कि बड़ी संख्या में लोग ऐसे होते हैं, जो ऋण तो लेना चाहते हैं, लेकिन उनका बैंक खाता ही नहीं है। इसके लिए वे लोगों से उनके दस्तावेज व्हाट्सऐप पर मंगवा लेते थे। उनसे यूपीआई के माध्यम से अपने खाते में रुपये ट्रांसफर करा लेते थे और उनके दस्तावेज पर बैंक खाता भी खुलवा देते थे। ---------- मोबाइल फोन का डाटा गिरोह का राज खोलेगा पुलिस का कहना है कि आरोपियों के गिरोह में बड़ी संख्या में लोग होने का अनुमान है। आरोपियों से बरामद हुए मोबाइल फोन के डाटा से शुरुआती जांच में पता चला है कि वे सैकड़ों लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं, लेकिन गिरोह के साथियों की जानकारी जुटाई जा रही है। नाम प्रकाश में आने पर उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा। ---------- इन बातों का ध्यान रखें -ऋणदाता के बारे में अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लें -ऋण देने वाले को ऑनलाइन दस्तावेज और अग्रिम रकम न दें -ऋण लेते समय आवेदन पर लिखे बारीक अक्षरों को ध्यान से पढ़ें -जिस कंपनी का ग्राहक सेवा प्रदाता है, उसके ग्राहक सेवा केंद्र से संपर्क करें -जिस कंपनी से ऋण लेना बहुत आसान लग रहा हो, उसके बारे में जानकारी जुटाएं
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