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फर्जी नंबर ने दिया हत्यारों का सुराग

ग्रेटर नोएडा। संवाददाता यूपी एसटीएफ को अंकित चौहान के हत्यारों का सुराग बदमाशों की होंडा एकॉर्ड पर लगी फर्जी नंबर प्लेट से ही मिला। एसटीएफ ने जब फर्जी नंबर से मिलते जुलते नंबरों की तलाश की तो...

फर्जी नंबर ने दिया हत्यारों का सुराग
Center,DelhiFri, 02 Jun 2017 07:15 PM
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ग्रेटर नोएडा। संवाददाता यूपी एसटीएफ को अंकित चौहान के हत्यारों का सुराग बदमाशों की होंडा एकॉर्ड पर लगी फर्जी नंबर प्लेट से ही मिला। एसटीएफ ने जब फर्जी नंबर से मिलते जुलते नंबरों की तलाश की तो बदमाशों का सुराग मिल गया। इनमें से एक बदमाश पर एसटीएफ ने नजर रखनी शुरू की तो दूसरा आरोपी भी पकड़ा गया। तीसरे आरोपी की मौत हो चुकी है। यह मामला हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को चला गया था लेकिन सीबीआई ने एसटीएफ से सहयोग का अनुरोध किया था। एसटीएफ के एएसपी राजीव नारायण मिश्रा, डीएसपी राजकुमार मिश्रा और सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने सीबीआई का सहयोग किया। इन अधिकारियों को पता लगा कि वारदात में इस्तेमाल की गई होंडा एकॉर्ड कार का नंबर यूपी 14बीए 2300 था। गाजियाबाद एआरटीओ के यहां जांच कराने पर पता लगा कि नंबर फर्जी है। इसके बाद एसटीएफ ने पूरे दिल्ली-एनसीआर में होंडा एकॉर्ड कार का डाटा तैयार किया। फर्जी नंबर से मेल खाते नंबरों पर पहले काम किया गया। इसी दौरान एक कार सामने आई जिसका नंबर यूपी 14एबी 2200 था। इसके मालिक ने बताया कि उसने कार शशांक को कई साल पहले बेच दी थी। इसके बाद एसटीएफ शशांक पर नजर रखने लगी। उसकी गतिविधियां संदिग्ध नजर आईं। वह जयपुर में था। टीम जयपुर पहुंची। वहां बताया गया कि वह गाजियाबाद के लिए निकल गया है। गुरुवार की शाम उसे टीम ने दिल्ली के धौला कुआं से और मनोज को गाजियाबाद में गिरफ्तार कर लिया। वारदात से पहले और बाद में पी शराब अंकित चौहान की हत्या को अंजाम देने से पहले और उसके बाद आरोपी शशांक, पंकज और मनोज ने शराब पी थी। ये लोग अगले दिन मीडिया में आई खबरों से बेहद घबरा गए थे लेकिन पुलिस के पास कोई सबूत नहीं होने के कारण इन तक पहुंचा नहीं जा सका था। इसी कारण सारे लोग कुछ दिनों बाद लापरवाह हो गए थे। आईजी अमिताभ यश ने बताया कि वारदात के बाद शशांक ने अपने कपड़े बदले। उन पर खून लग गया था। तीनों ने शराब पी। मनोज ने नौ बीयर की बोतलें पी थीं। आरोपी पंकज सट्टेबाज था आरोपी पंकज की करीब छह महीने पहले मौत हो चुकी है। पंकज सट्टा कारोबार से जुड़ा था। वह क्रिकेट पर सट्टा लगाता था। पंकज गाजियाबाद के शास्त्री नगर का रहने वाला था। वारदात के बाद पंकज ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर बाबा गन हाउस में बेच दी थी। अवैध पिस्टल कहां गई, यह जांच सीबीआई कर रही है। टैटू ने शशांक की पहचान पुख्ता की जब शशांक ने अंकित को गोली मारी थी तो उसके दोस्त गगन ने देखा था। गगन ने पुलिस को बताया था कि हमलावर के बांये हाथ पर दो टैटू बने हैं। अब जब एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार किया है तो उसके बांये हाथ पर दो टैटू मिले हैं। सत्ते भाटी अनिल दुजाना गैंग से जुड़ा है शशांक, पंकज और मनोज को कार लूट के लिए भेजने वाले सत्ते के तार अनिल दुजाना गैंग से जुड़े हैं। सत्ते पर कई मुकदमे चल रहे हैं। अब एसटीएफ सत्ते की तलाश कर रही है। आईजी का कहना है कि उसे जल्दी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। आरोपी शशांक को 12वीं में 96 फीसदी नंबर मिले थे शशांक मेधावी छात्र था। उसे 12वीं कक्षा में 96 प्रतिशत अंक मिले थे। उसके बाद वर्ष 2014 में शशांक ने दिल्ली स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। नौकरी करने के बजाय वह संपत्ति कारोबार से जुड़ गया। पिता रेलवे में हैं। उम्र करीब 25 वर्ष है। अभी शादी नहीं हुई है।

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