
नोएडा : पश्चिम बंगाल में भी फर्जी थाना खोल लोगों को ठगा, बाप-बेटा वेबसाइट बना कर रहे थे भर्ती
संक्षेप: नोएडा सेक्टर-70 में फर्जी पुलिस ऑफिस खोलने वाला गैंग पश्चिम बंगाल में भी सक्रिय था। उसने वहां भी फर्जी पुलिस ऑफिस खोलकर लोगों से ठगी की। गैंग के सरगना बिभाष चंद्र अधिकारी के बेटे ने बीरभूम जिले में पांच साल पहले एक अन्य नाम से ट्रस्ट बना रखा था।
नोएडा सेक्टर-70 में फर्जी पुलिस ऑफिस खोलने वाला गैंग पश्चिम बंगाल में भी सक्रिय था। उसने वहां भी फर्जी पुलिस ऑफिस खोलकर लोगों से ठगी की। गैंग के सरगना बिभाष चंद्र अधिकारी के बेटे ने बीरभूम जिले में पांच साल पहले एक अन्य नाम से ट्रस्ट बना रखा था।

पुलिस के मुताबिक, गैंग के मुख्य आरोपी बिभाष चंद्र अधिकारी और उसका बेटा अराग्य अधिकारी हैं। बिभाष चंद्र बीए है, जबकि पुत्र अराग्य ने बीए एलएलबी की है। दोनों पिता-पुत्र पिछले पांच वर्षों से बीरभूम जिले में लोगों को मदद के नाम पर ठग रहे थे। इसके लिए अराग्य ने इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ सोशल इंवेस्टिगेशन एंड सोशल जस्टिस के नाम से ट्रस्ट बनाया और ऑफिस खोला था। ट्रस्ट में अराग्य ने खुद को राष्ट्रीय महासचिव बना रखा है। संगठन की वेबसाइट पर एक-दूसरे को मान्यता देकर लोगों को ठगने का काम कर रहे थे।
पुलिस को जांच में पता चला है कि कुछ समय पहले इनकी मुलाकात गोरखपुर निवासी सुनील कुमार नामक व्यक्ति से हुई। फरार चल रहे सुनील ने ही इन लोगों को बताया कि गौतमबुद्धनगर में जमीनों के रुपये के लेन-देन के अधिक विवाद हैं। यहां बड़ी संख्या में रिटायर्ड न्यायिक अधिकारी, आईपीएस, आईएएस और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोग रहते हैं। लोग मदद के नाम पर आसानी से इनके झांसे में आ सकते हैं। सुनील के कहने पर ही इन लोगों ने नोएडा में ऑफिस खोलकर ट्रस्ट बनाया। पुलिस की टीमें सुनील को गिरफ्तार करने के लिए दबिश दे रही हैं। नोएडा पुलिस की कार्रवाई के बाद पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले की पुलिस भी हरकत में आ गई है। पुलिस ने ऑफिस को बंद करा दिया है।
शिक्षक भर्ती घोटाले में बिचौलिया था बिभाष : मुख्य आरोपी बिभाष चंद्र अधिकारी कोलकाता और बीरभूम में बीएड और डीएलएड कॉलेज का संचालन कर रहा है। वह ठाकुर अनुकूल चंद्र सत्संग मिशन साधनपीठ ट्रस्ट का अध्यक्ष भी है। वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के दौरान वर्ष 2023 में उस पर बिचौलिया होने का आरोप लगा था। सीबीआई और ईडी की जांच में उसका भी नाम सामने आने के बाद उसके ठिकानों पर छापेमारी भी हुई थी।
पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष बताया जा रहा: जांच में पता चला है कि बिभाष पूर्व में पश्चिम बंगाल में बीरभूम के नलहाटी से तृणमूल का पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष था। पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्ष की भूमिका निभाने वाली बीजेपी के पदाधिकारी इस मुद्दे को उठा सकते हैं। सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को घेरते हुए मुद्दा बना सकते हैं।
आरोपियों ने भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे : स्पेशल-26 फिल्म की तरह ये भी किसी बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले थे। एलएलबी पास कानून के जानकारों की भर्ती कर रहे थे। इसके लिए इन लोगों ने वेबसाइट पर नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें एक पत्र भी है। आवेदन की अंतिम तिथि 30 अगस्त तक है।
यूएसए की एजेंसी से गठबंधन होने का दावा
वेबसाइट के अनुसार, इन लोगों ने खुद को एशियन इंटरपोल और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कॉर्पोरेशन/इंटरपोल सेंटर यूएसए) (एक अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन) से संबद्ध बताया है। इसमें अपना उद्देश्य बताया है कि आईएएस, आईपीएस, न्यायाधीशों और ईमानदार पुलिस अधिकारियों वाली विभिन्न जांच समितियों की मदद से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अपराध, साइबर खतरों, संगठित आपराधिक गतिविधियों, भ्रष्टाचार से निपटारा करवाना है।
ट्रस्ट से जुड़ने के लिए लेते थे शुल्क
पुलिस की जांच में सामने आई नई वेबसाइट एनबीएसआईएसजे का संचालन कोलकाता से हो रहा था। इस वेबसाइट में कई रिटायर्ड जज, रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस और वकीलोंं के नाम, फोटो और ट्रस्ट से जुड़ा दिखाया गया है, ताकि लोग इन पर भरोसा कर सकें। बतौर समस्या के समाधान के लिए सदस्यता का भी विकल्प दिया गया था, जिसका रेट तय था। साधारण सदस्य, कार्यकारी सदस्य, आजीवन सदस्य और संस्थापक सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं। आवेदक को पूरी प्रोफाइल साझा करनी होगी। इसके लिए एक हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये जमा करने होंगे।





