वक्फ मामले में आप विधायक अमानतुल्लाह को राहत नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट का कार्यवाही पर रोक से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ चल रहे वक्फ मामले किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि हम किसी भी तरह से रोक लगाने के इच्छुक नही हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान के खिलाफ निचली अदालतों में लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। यह मामला दिल्ली वक्फ बोर्ड में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़ी मनी लॉड्रिंग का है। इसमें अमानतुल्लाह खान को समन जारी किए गए थे, जिनका पालन इन्होंने नहीं किया था। हालांकि अदालत ने ईडी से जवाब मांगा है और सुनवाई की अगली तारीख 28 अक्टूबर तय की है।
न्यायमूर्ती नीना बंशल ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं इस मामले में किसी भी तरह से रोक लगाने की इच्छुक नहीं हूं। उन्होंने अपनी बात को रखते हुए कहा कि मेट्रोपॉलिटेन मजिस्ट्रेट को कम से कम ये तय तो करने दीजिए कि कोई केस बनाया गया है या नहीं। उन्हें देखने दीजिए कि इस मामले में कोई अपराध बनता भी है या नहीं। मगर आप चाहते हैं कि कार्यवाही रोक दी जाए। इसलिए पहले निचली अदालत का जवाब आ जाने दीजिए।
आपको बता दें कि ईडी ने सीआरपीसी की धारा 190, आईपीसी की धारा 147 और अन्य धाराओं के तहत जारी किए गए समन का पालन नहीं करने पर शिकायत दर्ज की थी। आपको बता दें कि विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने फैसला सुनाया था कि मजिस्ट्रेट के आदेश में रुकावट पैदा करने का कोई आधार नहीं है। इसलिए इनके खिलाफ कार्यवाही के पर्याप्त आधार हैं।
हालांकि विधायक की तरफ से केस लड़ रहे वकील रजत भारद्वाज और कौस्तुभ खन्ना ने याचिका की तरफ से कहा कि जारी किया गया समन आदेश कानून के विपरीत है, क्योंकि इसे लापरवाही के साथ पारित किया गया है। साथ ही याचिका ने आगे कहा कि ईडी के आदेश पर उपस्थित ना होने के उन्होंने वैध कारण गिनाए थे।
इस पर ईडी की तरफ से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन ने दलील दी कि ईडी के द्वारा भेजे गए 14 समन को खान ने टाले थे। हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में खान को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया था, क्योंकि वो समन का पालन नहीं कर रहे थे।
आपको बता दें कि ईडी की जांच साल 2016 में सीबीआई के द्वारा दर्ज एक मामले से शुरू हुई थी। इस मामले में आप विधायक पर दिल्ली वक्फ बोर्ड में गैर-स्वीकृत और गैर-मौजूद रिक्तियों के खिलाफ अवैध रूप से कई लोगों को भर्ती करने का आरोप लगाया गया था। उस समय ये कहा गया था कि इससे दिल्ली सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ था। जबकि इससे खान को अवैध तरीके से लाभ हुआ था।
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