
निठारी हत्याकांड : सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के बहुचर्चित निठारी हत्याकांड से संबंधित एक मामले के दोषी सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव पिटीशन पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के बहुचर्चित निठारी हत्याकांड से संबंधित एक मामले के दोषी सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव पिटीशन पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने खुली अदालत में संक्षिप्त सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया।

यह याचिका वर्ष 2005-2006 के उत्तर प्रदेश में नोएडा के निठारी में हुए सीरियल हत्याकांड से जुड़े हत्या और बलात्कार के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ सुरेंद्र कोली ने दायर की थी।
कोली को नोएडा के निठारी गांव में 15 साल की एक लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा बरकरार रखी थी। उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गई थी। हालांकि, जनवरी 2015 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी दया याचिका पर फैसले में अत्यधिक देरी के कारण उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंगलवार की सुनवाई के दौरान ने कहा कि दोषसिद्धि केवल एक बयान और रसोई की चाकू की बरामदगी के आधार पर की गई थी।
बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के शेष अन्य मामलों में बरी किए जाने के कारण एक असामान्य स्थिति पैदा हो गई है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया गवई ने आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा, ‘‘यह मामला एक मिनट में विचारार्थ स्वीकार किए जाने योग्य है।’’
अगर कोली की उपचारात्मक याचिका स्वीकार कर ली जाती है, तो वह स्वतंत्र हो जाएगा क्योंकि वह निठारी के अन्य मामलों में पहले ही बरी हो चुका है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे बाकी 12 मामलों में बरी कर दिया था। इसके बाद उसने इस वर्ष फिर से सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी।
29 दिसंबर 2006 को हुआ था निठारी हत्याकांड का खुलासा
निठारी हत्याकांड का खुलासा 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी में व्यवसायी मोनिंदर सिंह के पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के साथ हुआ था।
अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी के कई अन्य मामलों में कोली और सह-आरोपी पंढेर को बरी कर दिया और 2017 में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को पलट दिया। अदालत ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया था।
सीबीआई और पीड़ितों के परिवारों ने बाद में बरी किए जाने के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया।
(भाषा के इनपुट के साथ)





