
हमने सारी उम्मीदें खो दीं.. निठारी कांड पर SC का फैसला सुरक्षित, छलका पीड़ित परिवारों का दर्द
संक्षेप: नोएडा के निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा है और टिप्पणी की है कि सज़ा बरकरार रखना 'इंसाफ का मजाक' होगा, जिससे पीड़ित परिवारों की इंसाफ़ की आखिरी उम्मीद भी टूट गई है।
नोएडा का निठारी गांव एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार खबरों में उम्मीद की जगह निराशा और लाचारी का माहौल है। करीब दो दशक पहले 2006 में हुए दिल दहलाने वाले हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था। अब, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा और टिप्पणी की कि उनकी सजा को बरकरार रखना 'इंसाफ का मजाक' होगा। इस बयान ने पीड़ित परिवारों की बची-खुची उम्मीदों को भी तोड़ दिया है।

वो खौफनाक मंजर, जो आज भी जिंदा है
निठारी के सेक्टर 31 में स्थित डी-5 बंगले के बाहर आज घने झाड़ और बेलों ने कब्जा जमा लिया है। दीवारें जर्जर हो चुकी हैं, ठीक उसी तरह जैसे इस केस की यादें धुंधली पड़ती जा रही हैं। लेकिन उन माता-पिताओं के लिए, जिन्होंने अपने बच्चों को खोया, ये दर्द आज भी ताजा है। एक 63 साल के पिता, जिनकी 10 साल की बेटी 2006 में स्कूल से लौटते वक्त लापता हो गई थी, बताते हैं, 'हमने अपनी पूरी जिंदगी इंसाफ की लड़ाई में झोंक दी।'
इंसाफ की राह में बिखरे सवाल
पंढेर के घर में नौकर सुरेंद्र कोली पर 13 मामलों में आरोप लगे थे, जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर पर छह मामलों में। 2006 में बच्चों और लड़कियों के गायब होने और डी-5 बंगले के पास हड्डियों व खोपड़ियों के मिलने से इस हत्याकांड का खुलासा हुआ था। उत्तर प्रदेश पुलिस ने 29 दिसंबर 2006 को कोली और पंढेर को गिरफ्तार किया था। बाद में जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने 16 मामलों में चार्जशीट दाखिल की।
कोली के खिलाफ ज्यादातर सबूत उनके कथित बयान पर आधारित थे, जो 1 मार्च, 2007 को दिल्ली के एक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया था। कोली अब तक 13 में से 12 मामलों में बरी हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी से संकेत मिलता है कि आखिरी बचे मामले में भी उनकी सजा पलट सकती है। कोर्ट ने कहा, 'जब एक ही तथ्यों पर अन्य मामलों में उन्हें बरी किया गया है, तो उसी सबूतों के आधार पर इस मामले में सजा देना गलत नहीं होगा?'
पीड़ित परिवारों का टूटता भरोसा
पीड़ित परिवारों के लिए ये लंबी कानूनी लड़ाई सिर्फ दर्द और निराशा लेकर आई है। एक पिता, जिनके साढ़े पांच साल के बेटे की हत्या हुई थी, कहते हैं, 'अगर कोली और पंढेर दोषी नहीं हैं, तो फिर हमारे बच्चों का हत्यारा कौन है? हमें कोई जवाब नहीं देता।'
निठारी में अब सिर्फ दो पीड़ित परिवार बचे हैं, बाकी सब गांव छोड़ चुके हैं। एक मां, जिन्होंने अपनी बेटी को खोया, कहती हैं, 'हर बार उस बंगले के पास से गुजरती हूं, तो मेरी बेटी की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है।' पंढेर की अक्टूबर 2023 में बरी होने की खबर ने पहले ही उनके दिल तोड़ दिए थे। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनकी आखिरी उम्मीद है।
क्या है सच्चाई, कौन देगा जवाब?
2006 का निठारी कांड भारत के सबसे भयावह सीरियल किलिंग मामलों में से एक माना जाता है। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले साल 16 अक्टूबर 2023 को कोली और पंढेर को सभी मामलों में बरी कर दिया था। कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 'सबूत इकट्ठा करने के बुनियादी नियमों का खुलेआम उल्लंघन हुआ।' अब सुप्रीम कोर्ट का रुख भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है।





