नए गुरुग्राम की इन 7 सड़कों के लिए जमीन की बाधा होगी दूर, GMDA और HSVP मिलकर ढूंढेंगे समाधान
नए गुरुग्राम की सात मुख्य सड़कों के निर्माण की बाधा दूर करने की योजना जीएमडीए और एचएसवीपी की तरफ से संयुक्त रूप से तैयार की जा रही है। सड़कों के निर्माण के अलावा पानी, सीवर और बरसाती पानी की निकासी के लिए लाइन तैयार करने के लिए छह गांवों की करीब 93 एकड़ जमीन की जरूरत है।

नए गुरुग्राम की सात मुख्य सड़कों के निर्माण की बाधा दूर करने की योजना गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की तरफ से संयुक्त रूप से तैयार की जा रही है। सड़कों के निर्माण के अलावा पानी, सीवर और बरसाती पानी की निकासी के लिए लाइन तैयार करने के लिए छह गांवों की करीब 93 एकड़ जमीन की जरूरत है।
हरियाणा के मुख्य सचिव ने निर्देश जारी किए हैं कि सड़कों के निर्माण की अड़चन को दूर करने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाए। जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्यामल मिश्रा ने अब इस सिलसिले में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) प्रशासक वैशाली सिंह को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
एचएसवीपी की तरफ से किए गए सर्वे के मुताबिक, दिल्ली-जयपुर हाईवे को गुरुग्राम-पटौदी हाईवे से जोड़ रही करीब छह किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण में कई बाधाएं हैं। सेक्टर-82 स्थित बेस्टैक पार्क व्यू आनंदा सोसाइटी के सामने करीब 150 मीटर का हिस्से में सड़क नहीं है। बारिश के दौरान इस जगह पर कीचड़ हो जाता है, जिससे वाहन चालकों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इन मुख्य सड़क की अड़चन को दूर करने के लिए गांव सिकंदरपुर बढ़ा की 23.6 एकड़ जमीन की जरूरत है।
होंडा चौक की सड़क का जुड़ाव : एसपीआर से होगा सेक्टर-88-89 की मुख्य सड़क के निर्माण के लिए गांव हरसरू की 18 एकड़ जमीन की जरूरत है। करीब 130 मीटर की सड़क नहीं बन सकी है। इस तरह सेक्टर-71-73 और 72-72ए की मुख्य सड़क के निर्माण के लिए 680 मीटर की सड़क नहीं बनी है। इसके निर्माण के लिए गांव टीकरी की 4.11 एकड़ और बहरामपुर की 7.84 एकड़ जमीन की जरूरत है। जमीन मिलने के बाद हीरो होंडा चौक से सुभाष चौक की तरफ जा रही मुख्य सड़क का जुड़ाव सर्दर्न पेरिफेरिल रोड (एसपीआर) से हो जाएगा।
गुरुग्राम-सोहना हाईवे और दिल्ली-जयपुर हाईवे पर यातायात का दबाव कम हो जाएगा। इसके साथ-साथ सेक्टर-58 से लेकर 80 तक पर्याप्त पानी पहुंचाने के लिए इस जमीन से पीने के पानी की पाइप लाइन डाली जानी है।
रास्ते में आ रहे अवैध निर्माण हटाए जाएंगे
सेक्टर-71-78 को विभाजित कर रही मुख्य सड़क के विवादित हिस्से के निर्माण के लिए जमीन की जरूरत है। जमीन अधिग्रहण होने के बाद पानी, सीवर और बरसाती नाला डाला जा सकेगा। सेक्टर-78 से 80 को विभाजित कर रही मुख्य सड़क की लंबाई करीब दो किलोमीटर है, जिसका निर्माण नहीं हो सका है। इस जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। रास्ते में आ रहे अवैध निर्माण को हटाना है।
बादशाहपुर की जमीन का भी होगा अधिग्रहण
सेक्टर-73-74 की मुख्य सड़क के निर्माण के लिए गांव बहरामपुर की 6.61 एकड़ जमीन की जरूरत है। इस मुख्य सड़क की कनेक्टीविटी एसपीआर से होनी है। करीब 400 मीटर लंबी सड़क जमीन अधिग्रहण विवाद के चलते नहीं बन सकी है। सेक्टर-66-67 की मुख्य सड़क की गुरुग्राम-सोहना रोड से बेहतर कनेक्टिविटी के बीच जमीन विवाद अड़चन बना हुआ है। इसके लिए गांव बादशाहपुर की जमीन की आवश्यकता है। इसके रास्ते में ऐतिहासिक बावड़ी और कुछ मकान आ रहे हैं। पुरातत्व विभाग की तरफ से बावड़ी का जीर्णोंद्धार किया जा रहा है। ऐसे में इस रोड की अलाइनमेंट में बदलाव करने के लिए करीब 150 मीटर में जमीन का अधिग्रहण करना होगा।
31 सेक्टर में बरसाती पानी की व्यवस्था नहीं
सेक्टर-81 से 111 तक 31 सेक्टर में बरसाती पानी की निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं। सेक्टर की मुख्य सड़कों के साथ-साथ मुख्य बरसाती नालों का निर्माण होना था, लेकिन यह नहीं हो सका है। 8 किलोमीटर में से सिर्फ 4 किलोमीटर में बरसाती नालों का निर्माण हुआ है। जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने अड़चन दूर करवाने के आदेश दिए।
सीवर लाइन नहीं डल पाई
सेक्टर-81 से सेक्टर-104 तक मुख्य सीवर लाइन डालने में जमीन अधिग्रहण को लेकर अड़चन आ रही है। एचएसवीपी ने जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दी रिपोर्ट में बताया है कि 32 जगह पर 11.50 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा 40 जगह पर जमीन विवाद था, जिसमें से 29 जमीन विवाद को दूर कर लिया है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने 11 जगहों पर विवाद जल्द सुलझाने के आदेश जारी किए हैं।
अरुण धनखड़, मुख्य अभियंता, जीएमडीए ने कहा, ''इन सड़कों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाना है। एचएसवीपी से इनके जमीन अधिग्रहण का विवाद दूर करने का आग्रह किया है। इसके बनने के बाद इन सेक्टरों में विकसित रिहायशी सोसाइटी, कॉलोनियों के अलावा आसपास लगते गांवों के निवासियों को लाभ मिलेगा।''