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दिल्ली के किस्से-कहानियों के नाम रही इतवार की शाम

रविवार को कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में जश्न-ए-विरासत-ए उर्दू के आयोजन का चौथा दिन रहा। रविवार को शेर और शायरी के अलावा दास्तानगोई के जरिए दिल्ली की खूबियों, किस्सों-कहानियों से दर्शकों की मुलाकात...

दिल्ली के किस्से-कहानियों के नाम रही इतवार की शाम
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 18 Feb 2018 11:39 PM
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रविवार को कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में जश्न-ए-विरासत-ए उर्दू के आयोजन का चौथा दिन रहा। रविवार को शेर और शायरी के अलावा दास्तानगोई के जरिए दिल्ली की खूबियों, किस्सों-कहानियों से दर्शकों की मुलाकात कराई गई। दिल्ली सरकार और उर्दू अकादमी की ओर से कराए जा रहे इस कार्यक्रम में रविवार होने की वजह से चौथे दिन हजारों लोग उर्दू की तहजीब और सूफी संगीत के तराने सुनने के लिए पहुंचे।

मशहूर शायरों की गजलों पर झूमे लोग

यह कार्यक्रम अपने शबाब पर तब पहुंच गया जब हैदराबाद की मशहूर गजल गायिका पूर्वागुरू ने मशहूर शायरों की गजलों पर अपने सुरों से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। पूर्वागुरू ने अहमद फराज की एक मशहूर गजल गाई तो दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। यह गजल थी 'रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ' गाते हुए लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

चौथे दिन इस उत्सव में हुए अधिकतर कार्यक्रमों में दिल्ली की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को तरजीह दी गई। सैय्यद साहिल आगा ग्रुप ने शाम को अपनी टीम के साथ दास्तानगोई पेश की। इसका शीर्षक 'दास्तान दिल्ली की' था। सैय्यद साहिल आगा ने अपनी टीम और साजो आवाज के साथ इसे पेश किया। इस दास्तान में दिल्ली के लुटने और संभलने का जिक्र था। आम तौर पर दास्तान के नाम पर दो तीन लोग मंच पर बैठ कर दास्तान सुना देते हैं लेकिन साहिल आगा के नेतृत्व में 12 लोगों की एक टीम ने दास्तानगोई को बहुत शानदार अंदाज में पेश किया।

दास्तानगोई के जरिए दर्शकों पर चढ़ा उर्दू का सुरूर शाम-ए-गजल तक पहुंचते-पहुंचते खुमार में तब्दील हो गया। ढलते सूरज के साए में गहराती शाम और सेंट्रल पार्क का माहौल तब और खुशनुमा हो गया जब महफिल ए कव्वाली में मुंबई के क्व्वाल मुनव्वर मासूम ने कव्वाली पेश की। इस उत्सव में चौथे दिन की शुरुआत में टैलेंट ग्रुप ने पुरानी दिल्ली की गलियों पर 'किस्सा पुरानी दिल्ली की गलियों का' शीर्षक पर कार्यक्रम पेश कर लोगों का मनोरंजन किया। इसके बाद स्कूली छात्र छात्राओं ने रंगमंच के ज़रिए पुरानी दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत पर एक भव्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

20 फरवरी तक चलेगा यह उत्सव

जश्न-ए-विरासत-ए-उर्दू 15 फरवरी से 20 फरवरी तक चलेगा। क्नॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में चल रहे इस कार्यक्रम में जाने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। सोमवार को दोपहर दो बजे किस्सा अलिफ-लैला के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत होगी। इसके बाद तीन बजे कव्वाली का कार्यक्रम होगा। रात को 9 बजे सूफी संगीत की प्रस्तुतियां होंगी। मंगलवार को कार्यक्रम के अंतिम दिन राहत इंदौरी समेत कई मशहूर शायर इस उत्सव में हिस्सा लेंगे।

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