Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsTributes Paid to Dr Shyama Prasad Mukherjee on Martyrdom Day by Top Leaders
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का राष्ट्रनिर्माण में अमूल्य योदगान : प्रधानमंत्री

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का राष्ट्रनिर्माण में अमूल्य योदगान : प्रधानमंत्री

संक्षेप: नई दिल्ली में भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष...

Mon, 23 June 2025 04:19 PMNewswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नारा दिया था- एक सिद्धांत, एक निशान और एक प्रधान एक ही देश में दो नहीं होंगे। उन्होंने 1952 में जम्मू-कश्मीर राज्य में अभियान के दौरान ऐसा कहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अतुलनीय साहस और पुरुषार्थ का परिचय दिया।

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राष्ट्र निर्माण में उनका अमूल्य योगदान हमेशा श्रद्धापूर्वक याद किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक्स पर पोस्ट किया, देश की एकता, अखंडता और आत्मस्वाभिमान के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करने वाले प्रखर राष्ट्रवादी, अद्वितीय शिक्षाविद और अडिग राष्ट्रनायक पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, डॉ. मुखर्जी राष्ट्रीय एकता के सच्चे सूत्रधार थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर में विभाजनकारी तत्त्वों से कभी समझौता नहीं किया और सत्ता को तिलांजलि देकर नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। डॉ. मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना से देश को राष्ट्रहित सर्वोपरि रखने वाला राजनीतिक विकल्प दिया और जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से डॉ मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर पर लागू धारा 370 एवं 35ए का विरोध करते हुए बलिदान दिया। श्रीनगर जेल में उनका रहस्यमय ढंग से निधन हो गया। उनकी माताजी ने भी उनकी मौत की जांच की मांग की थी, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नजरअंदाज कर दिया था।