पहाड़ों पर घूमने जाने वालों को देना पड़ सकता है कूड़ा प्रबंधन टैक्स
प्रभात कुमार नई दिल्ली। पहाड़ों पर घूमने जाने वाले पर्यटकों को शहर में प्रवेश करते

प्रभात कुमार नई दिल्ली। पहाड़ों पर घूमने जाने वाले पर्यटकों को शहर में प्रवेश करते समय ही कूड़ा प्रबंधन टैक्स देना पड़ सकता है। हिल स्टेशनों को गंदगी से बचाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने स्थानीय निकायों और पंचायतों को पर्यटकों से से कूड़ा प्रबंधन टैक्स वसूलने के सुझाव दिया है। सीपीसीबी ने हिल स्टेशनों पर लगातार बढ़ रहे गंदगी और कूड़े के ढ़ेर से जुड़े मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पेश अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। एनजीटी के न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ के समक्ष पेश अपनी रिपोर्ट में सीपीसीबी ने ठोस कचरा प्रबंधन नियमों का विस्तार से जानकारी देते हुए कहा है कि ‘हिल स्टेशनों पर कूड़ा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी स्थानीय निकाय और पंचायत की है।
इसके साथ ही कहा है कि ‘ठोस कचरा प्रबंधन नियम के तहत स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है कि वह इसके तहत उपनियम बनाकर कर स्थानीय लोगों और पर्यटकों को सड़कों पर कचरा फैलाने से रोके। पर्यटकों को यह निर्देश दें कि वे सड़कों, पार्क या कहीं भी कागज, पानी की बोतलें, शराब की बोतलें, शीतल पेय के डिब्बे, टेट्रा पैक, अन्य प्लास्टिक या कागज जैसे कचरे को सड़कों या पहाड़ियों पर न फेंकें, बल्कि ऐसे कचरे को कूड़ेदानों में डाले। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा है कि स्थानीय निकाय उपनियमों के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रावधानों की जानकारी पहाड़ी क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को पर्यटन स्थलों के प्रवेश द्वार पर ही उपलब्ध कराएगा, साथ ही होटलों, गेस्ट हाउसों या उनके ठहरने के स्थानों के माध्यम से और पर्यटन स्थलों पर उपयुक्त होर्डिंग लगाकर भी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय निकाय या पंचायत ठोस कचरा प्रबंधन सेवाओं को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए शहर के प्रवेश द्वार पर ही पर्यटकों से ठोस कचरा प्रबंधन शुल्क वसूल सकता है। सीपीसीबी ने एनजीटी 5 जून के आदेश के अनुपालन में यह रिपोर्ट पेश किया है। एनजीटी ने ‘स्वर्ग से लैंडफिल तक? शीर्षक से सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो संज्ञान लेते हुए यह जवाब मांगा था। इसमें दिखाया गया था कि कैसे हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध हिल स्टेशन कूड़ेदान में बदल रहा है। यह वायरल वीडियो हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध हिल स्टेशन कसोल का था। पहाड़ों पर नहीं होने चाहिए हिल स्टेशन सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कानून में यह प्रावधान है कि पहाड़ों पर लैंडफिल के निर्माण से बचा जाना चाहिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नियमों के तहत कूड़े समुचित निपटान/प्रसंस्करण सुविधा से अवशिष्ट अपशिष्ट और निष्क्रिय अपशिष्ट एकत्र करने के लिए एक उपयुक्त संलग्न स्थान पर एक स्थानांतरण स्टेशन स्थापित किया जाना चाहिए। सैनिटरी लैंडफिल स्थापित करने के लिए पहाड़ी से नीचे मैदानी क्षेत्रों में 25 किलोमीटर के भीतर एक उपयुक्त भूमि की पहचान की जानी चाहिए। स्थानांतरण स्टेशन से अवशिष्ट कचरा का निपटान इस सैनिटरी लैंडफिल में किया जाएगा। साथ ही कहा है कि ऐसी भूमि उपलब्ध न होने की स्थिति में, निष्क्रिय और अवशिष्ट अपशिष्ट के लिए क्षेत्रीय सैनिटरी लैंडफिल स्थापित करने के प्रयास किए जाएंगे। 16 में से 6 लैंडफिल को किया गया साफ रिपोर्ट में सीपीसीबी ने एक अन्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि 16 पुराने लैंडफिल स्थलों में से 2,48,381 टन कूड़े का निपटान किया जाना है। इसमें कहा गया है कि केवल 6 स्थलों (सुंदर नगर, सरकाघाट, बैजनाथ, डलहौजी और रिवालसर) को पूरी तरह से साफ किया गया था। साथ ही कहा है कि 4 शहरी स्थानीय निकायों (मनाली, करसोग, नूरपुर और निर्मला) में कुल 375 टन प्रतिदिन कूड़ा निकलता है, लेकिन 368 टीपीडी का प्रसंस्करण किया जाता है। इनमें से 7 टीपीडी का अंतर रह जाता है।
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