सर्जरी से छह महीने बाद फिर चलने लगा मरीज
उपचार - गर्दन, रीढ़ और कूल्हे की हड्डियां आपस में जुड़ गई थीं - सर
उपचार
- गर्दन, रीढ़ और कूल्हे की हड्डियां आपस में जुड़ गई थीं
- सर गंगाराम अस्पताल में डॉक्टरों ने छह घंटे में की सफल सर्जरी
नई दिल्ली। वरिष्ठ संवाददाता
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने छह घंटे की सफल सर्जरी से एक मरीज की गर्दन, रीढ़ और कूल्हे की आपस में जुड़ी हड्डियों को अलग किया। इस कारण मरीज छह महीने बाद फिर चलने में सक्षम हो सका।
दक्षिण पश्चिम दिल्ली निवासी 34 वर्षीय सुनील कुमार पिछले छह महीने से असहाय दर्द की वजह से बिस्तर पर थे। वह खड़े होने में असमर्थ थे, जिससे खाना-पीना, टॉयलेट आदि भी लेटकर ही करना पड़ता था। असहनीय पीड़ा के बाद परिवार वाले सुनील को लेकर सर गंगा राम अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे थे। जांच में पता चला कि मरीज एंकिलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित था।
डॉ. अनंत कुमार तिवारी ने बताया कि मरीज को खड़ा और चलने-फिरने के लिए हिप रिप्लेसमेंट करने की योजना बनाई गई। इसमें सबसे बड़ी चुनौती थी कि कूल्हे की हड्डी मरीज की जांघ की हड्डी से जुडी हुई थी। सबसे पहले इसको काटकर अलग किया गया। हड्डियों का एक ब्लॉक बनने के कारण कूल्हे की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल था। इसके लिए ‘सी-आर्म एक्स-रे से उस जगह पर एक पिन लगाया गया, जहां कूल्हे का जोड़ हो सकता था। वहां पर सॉकेट की जगह बना कर नया कूल्हा डाला गया। नए कूल्हे के आसपास की हड्डियों और मांसपेशियों को काटकर उसमें लचीलापन लाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में छह घंटे का समय लगा। पहले कूल्हे की सर्जरी 25 जनवरी और दूसरे कूल्हे की सर्जरी 27 जनवरी को की गई। अब धीरे-धीरे दर्द कम होने के साथ ही मरीज न सिर्फ कर खाना खा रहा है बल्कि छह महीने में पहली बार जमीन पर कुछ कदम चल भी पा रहा है।
एंकिलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित था मरीज
इमरजेंसी में सुनील की जांच की गई तो पता चला कि गर्दन, रीढ़ और कूल्हे की हड्डियां आपस में जुड़ कर एक ठोस ब्लॉक बन चुकी हैं। इस वजह से हड्डियों का लचीलापन खत्म हो चुका है। अस्पताल के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के वरिष्ठ डॉ. अनंत कुमार तिवारी ने पाया कि मरीज एंकिलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित है। इसका इलाज न होने पर शरीर की सभी बड़े जोड़ आपस में जुड़ने लग जाते हैं और हर जोड़ का लचीलापन खत्म हो जाता है। इस वजह से दर्द असहाय हो जाता है। कुछ लोगों में यह रोग गंभीर हो जाता है। भारत में लगभग 40 लाख लोग एंकिलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित हैं।