हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि लड़की ने शारीरिक विरोध नहीं किया तो इसका मतलब यह नहीं उसने संबंध बनाने के लिए सहमति दे दी। हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में दोषी युवक को मिली 7 साल कैद की सजा को बहाल रखते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा है कि सहमति में लड़की की मर्जी, वो भी बिना किसी दबाव के होना चाहिए और उसमें स्पष्टता भी होनी चाहिए।। उन्होंने कहा है कि चिकित्सा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लड़की से शरीरिक संबंध बनाए गए थे, ऐसे में अब सिर्फ यह तय करना है कि क्या संबंध लड़की की सहमति से बने थे या बगैर सहमति के। इस मामले में दोषी युवक का कहना था कि पैसे देकर लड़की से संबंध बनाए जबकि दिल्ली पुलिस कहा है कि जब लड़की चिल्लाई तो वह मौके पर पहुंचे। साथ ही कहा कि वहां पहुंचने पर लड़की और लड़के दोनों आपत्तिजनक अवस्था में थे। हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म की परिभाषा में सहमति का मतलब अपनी मर्जी से स्पष्ट तरीके से चाहे बोलकर, इशारे से या फिर इच्छा व्यक्त करके सहमति हो सकती है। हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि शारीरिक विरोध नहीं हुआ इसका मतलब सहमति है, ये सहमति देने का आधार नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे में आरोपी राहुल के खिलाफ दुष्कर्म का दोष साबित होता है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए निचली अदालत द्वारा दिसंबर,2013 में दी गई 7 साल कैद की सजा को चुनौती देने वाली दोषी राहुल की अपील को सिरे से खारिज कर दिया। दिल्ली पुलिस के अनुसार 20मार्च, 2013 को लालकिला के पास लड़की की चिल्लाने की आवाज सुनकर गश्त कर रही टीम मौके पर पहुंच गई। साथ ही कहा कि वहां पहुंचे पुलिस की टीम ने पाया कि आरोपी राहुल व पीड़ित लड़की आपत्तिजनक अवस्था थे। साथ ही कहा कि पुलिस को देखकर लड़का भागने लगा लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया। लड़की ने पुलिस को बताया कि वह रास्ता भटक गई थी, इसी दौरान आरोपी राहुल उसे लालकिला के पास मिला। पीड़ता ने कहा था कि राहुल उसे बहाने से अपने साथ ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। हालांकि युवक ने अदालत में कहा था कि उसने लड़की की सहमति से संबंध बनाए और बदले में 300 रुपये भी दिए।
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