सुप्रीम कोर्ट से राय मांगने पर तमिलनाडु ने की केंद्र की आलोचना
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राष्ट्रपति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि क्या विधेयकों के लिए राज्यपाल के लिए समयसीमा तय की जा सकती है। उन्होंने भाजपा-नीत केंद्र सरकार की आलोचना की...

चेन्नई, एजेंसी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राष्ट्रपति के जरिये सुप्रीम कोर्ट से यह पूछने के लिए भाजपा-नीत केंद्र सरकार की आलोचना की कि क्या विधेयकों को लेकर राज्यपाल के लिए कोई समयसीमा तय की जा सकती है। स्टालिन ने कहा कि इससे केंद्र सरकार की ‘बदनीयती का पता चलता है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर आठ अप्रैल को दिए गए फैसले में विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के संबंध में राज्यपाल के लिए समयसीमा तय की थी। इसके बाद 13 मई को राष्ट्रपति ने न्यायालय को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या न्यायिक आदेशों के जरिये ऐसी कोई समयसीमा तय की जा सकती है।
तमिलनाडु में द्रमुक के अध्यक्ष स्टालिन ने गैर-भाजपा शासित राज्यों से संविधान की रक्षा के लिए कानूनी संघर्ष में शामिल होने को कहा। स्टालिन ने ‘एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘मैं केंद्र सरकार के राष्ट्रपति संदर्भ की कड़ी निंदा करता हूं, जो तमिलनाडु के राज्यपाल से संबंधित मामले और अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय संवैधानिक व्यवस्था को उलटने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास से यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने जनादेश को कमजोर करने के लिए भाजपा के इशारे पर काम किया। स्टालिन ने दावा किया कि यह कुछ और नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों को राज्यपालों के नियंत्रण में रखकर उन्हें कमजोर करने का एक हताश प्रयास है। उन्होंने कहा, यह कानून की गरिमा और संविधान के अंतिम व्याख्याकर्ता के रूप में सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को भी सीधे चुनौती देना है। स्टालिन के सवाल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने पूछा, राज्यपालों को समय सीमा निर्धारित करने पर कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए? क्या भाजपा विधेयक को मंजूरी देने में अनिश्चितकालीन देरी की अनुमति देकर अपने राज्यपालों की अड़चनों को वैध बनाने की कोशिश कर रही है? --- राष्ट्रपति के माध्यम का इस्तेमाल करना उचित नहीं : वाम दल वाम दलों ने भी गुरुवार को कहा कि मामले में राष्ट्रपति के माध्यम का इस्तेमाल करना उचित नहीं है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एम.ए बेबी ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन की एक पोस्ट का हवाला दिया और कहा कि उनकी पार्टी इस कदम का विरोध करती है। बेबी ने कहा, माकपा, विधानमंडल द्वारा पारित 10 विधेयकों को रोकने में राज्यपालों की भूमिका पर तमिलनाडु सरकार की याचिका पर हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर राष्ट्रपति के संदर्भ का विकल्प चुनने के केंद्र सरकार के निर्णय का विरोध करती है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) महासचिव डी. राजा ने भी केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा की। उन्होंने कहा, भाकपा, राष्ट्रपति संदर्भ के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के आठ अप्रैल के फैसले पर सवाल उठाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कदम की कड़ी निंदा करती है।
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