Supreme Court Upholds Appointment of Prof Naima Khatun as First Female VC of AMU एएमयू की पहली महिला कुलपति की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने भी ठहराया सही, याचिका खारिज, Delhi Hindi News - Hindustan
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एएमयू की पहली महिला कुलपति की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने भी ठहराया सही, याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू की पहली महिला कुलपति प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति को सही ठहराया। अदालत ने उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए हस्तक्षेप की जरूरत नहीं समझी। इससे पहले,...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 8 Sep 2025 08:31 PM
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एएमयू की पहली महिला कुलपति की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने भी ठहराया सही, याचिका खारिज

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की कुलपति के पद पर प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति को सही ठहराया। शीर्ष अदालत ने उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। इससे पहले, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी एएमयू के कुलपति के पद पर प्रो. खातून की नियुक्ति को सही ठहराया था। प्रो. खातून एएमयू की पहली महिला कुलपति नियुक्त हुई हैं। जस्टिस जेके माहेश्वरी और विजय बिश्नोई की पीठ ने प्रो. खातून की नियुक्ति को बरकरार रखने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए संस्थान के प्रो. मुजफ्फर उरुज रब्बानी और फैजान मुस्तफा की ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया।

इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने एएमयू के कुलपति की नियुक्ति कार्यकारी परिषद की बैठक में प्रो. खातून के पति प्रो. मोहम्मद गुलरेज, की मौजूदगी पर मौखिक रूप से सवाल उठाया था, जो कि एएमयू के कार्यवाहक कुलपति थे। हालांकि, बाद में पीठ में शामिल न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन द्वारा सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद इस मामले को जस्टिस माहेश्वरी और बिश्नोई की पीठ के समक्ष भेज दिया गया था। मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए जस्टिस चंद्रन ने कहा था कि ‘उन्होंने (पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में) प्रोफेसर मुस्तफा को सीएनएलयू का कुलपति नियुक्त किया था, इसलिए इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। हालांकि सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि केंद्र सरकार को न्यायमूर्ति चंद्रन द्वारा मामले की सुनवाई करने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन न्यायाधीश ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया और कहा कि चूंकि मामला चयन में कथित पक्षपात से संबंधित है, इसलिए यह उचित ही था कि वह एक याचिकाकर्ता के साथ अपने पेशेवर संबंधों के कारण भी मामले से अलग हो जाएं।

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