सेवा में शामिल होने से पहले 7 वकालत कर चुके न्यायिक अधिकारी वकील कोटे से जिला जज बन सकते हैं या
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज यह फैसला सुनाएगी कि क्या जज बनने से पहले 7 साल का वकालत का अनुभव रखने वाले न्यायिक अधिकारियों को जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। इस मुद्दे पर लंबे...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ गुरुवार को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगी कि ‘क्या न्यायिक अधिकारियों, जिन्होंने जज बनने से पहले पहले अधिवक्ता के रूप में 7 साल का वकालत का अनुभव प्राप्त कर लिया है, बार के लिए निर्धारित यानी वकील कोटे के रिक्तियों के तहत जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं? संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर बहस की शुरुआत करते हुए कहा था कि ‘कार्यभार के लिहाज से न्यायाधीश के रूप में एक वर्ष का कर्यकाल, वकील के रूप में पांच साल के बराबर है। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, अरविंद कुमार, सतीश चंद्र शर्मा और के विनोद चंद्रन की पीठ ने 3 दिन चली लंबी बहस के बाद 25 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
संविधान पीठ जिला जजों की नियुक्ति से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 233 की व्याख्या पर विचार कर रही थी। अनुच्छेद 233 के अनुसार किसी भी राज्य में जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदस्थापन और पदोन्नति राज्यपाल द्वारा उस राज्य के उच्च न्यायालय से परामर्श करने का प्रावधान है। इसमें यह भी कहा गया है कि कोई व्यक्ति जो पहले से ही संघ या राज्य की सेवा में नहीं है, वह तभी जिला न्यायाधीश नियुक्त किए जाने के लिए पात्र होगा जब वह कम से कम सात वर्षों तक अधिवक्ता के रूप में वकालत किया हो और उच्च न्यायालय द्वारा उसकी नियुक्ति की अनुशंसा की गई हो। संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर देश भर में न्यायिक भर्ती पर व्यापक प्रभाव डालने वाली 30 याचिकाओं पर सुनवाई विचार कर रही थी।
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