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सख्ती: दिल्ली की अवैध कालोनियों में निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट राजधानी में अवैध निर्माणों पर सख्त हो रहा है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि भवन बाईलॉज के अनुरूप नहीं पाई गई 1797 अनाधिकृत कालोनियों में आगे कोई भी निर्माण नहीं होगा। कोर्ट ने प्राधिकारियों...

सख्ती: दिल्ली की अवैध कालोनियों में निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
नई दिल्ली। विशेष संवाददाताWed, 25 Apr 2018 09:15 AM
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सुप्रीम कोर्ट राजधानी में अवैध निर्माणों पर सख्त हो रहा है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि भवन बाईलॉज के अनुरूप नहीं पाई गई 1797 अनाधिकृत कालोनियों में आगे कोई भी निर्माण नहीं होगा। कोर्ट ने प्राधिकारियों से अवैध निर्माण वाली ऐसी कालोनियों को नियमित करने की मंशा के बारे में काफी सवाल किए और मास्टर प्लान में संशोधन करने पर लगी रोक हटाने से इनकार कर दिया। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि राजधानी में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं हो सकता जहां कानून का शासन नहीं हो। इसके साथ ही कोर्ट ने केन्द्र को अनाधिकृत निर्माणों से संबंधित कानूनों को लागू करने की व्यवस्था की निगरानी के लिए तत्काल विशेष कार्य बल गठित करने का निर्देश दि। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक मार्गों, सार्वजनिक सड़कों और पैदल यात्रियों के निमित्त इलाकों से अतिक्रमण हटाया जाए।

जस्टिस मदन बी लोकूर और दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 में प्रस्तावित संशोधनों पर लगाई गई रोक हटाने से फिलहाल इनकार कर दिया। पीठ ने सरकार को वर्ष 2000 से अब तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भूजल के स्तर की स्थिति और इसका विवरण पेश करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा, हम निर्देश देते हैं कि किसी भी अनधिकृत कालोनी में और सार्वजनिक भूमि पर अब और कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। 

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि अनधिकृत कालोनियों में निर्माण के मामले में भवन बाईलॉज लागू नहीं होते हैं जिसकी वजह से दिल्ली में बेतरतीब निर्माण हो रहा है और शीर्ष अदालत के 2007 के फैसले के बावजूद स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

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उन्होंने पीठ से कहा, अनाधिकृत कालोनियों में आज भवन बाईलॉज के अनुरूप नहीं होने वाले किसी भी निर्माण पर रोक लगाई जानी चाहिए। ये अराजकता नहीं चल सकती। आज स्थिति यह है कि इन कालोनियों में एकदम अराजकता है।  इस पर पीठ ने प्राधिकारियों से जानना चाहा , 2007 में आदेश दिया गया था। आपने इन दस सालों में क्या किया, आप एक हलफनामा दायर कर सकते हैं कि आप को दिल्ली में कानून का शासन बनाए रहने की जरूरत नहीं है। 

पीठ ने कहा, एक ओर आपके पास अधिकृत कालोनियां हैं। उन्हें प्रत्येक मानक और बाईलॉज का पालन करना होता है। दूसरी ओर, आपके यहां अनधिकृत कालोनियां हैं और वे किसी भी कानून का पालन नहीं करती हैं क्योंकि आपने कुछ नहीं किया है। पीठ ने कहा, उन्हें (अनधिकृत कालोनियों को) नियमित करके आप कहेंगे जो भी गैरकानूनी उन्होंने किया है उसे हम नियमित करेंगे। आप ऐसा कोई इलाका नहीं रख सकते जहां कानून का शासन नहीं हो। यहां 1700 से भी अधिक कालोनियां हैं। 

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दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह ने कहा कि इन कालोनियों को नियमित करने से पहले इनमें भवन बाईलॉज लागू किए जायेंगे।  प्राधिकरण ने बताया कि उसने इस साल 1 अप्रैल से 27.02 एकड़ सार्वजनिक भूमि मुक्त कराई है। पीठ ने प्राधिकरण को मुक्त कराई गयी भूमि के विवरण के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए इस मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

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