मेट्रो के काम के चलते आश्रय गृहों को बंद करने की निरीक्षण करने का आदेश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) के कार्यों के कारण शहरी बेघर आश्रयों को बंद करने के मुद्दे पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) से रिपोर्ट मांगी है। याचिकाकर्ता के...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) के काम कारण राजधानी में शहरी बेघर आश्रयों को बंद/ स्थानांनरित किए जाने को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा। शीर्ष अदालत ने 22 साल पुराने एक जनहित याचिका में डीएमआरसी के कामकाज के चलते आनंद विहार और सराय काले खां में 8 मौजूदा आश्रय गृहों के बंद किए जाने का उल्लेख किए जाने पर यह आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया और आलोक अराधे की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आश्रय गृहों को बंद किए जाने का उल्लेख किया।
भूषण ने पीठ से कहा कि आश्रय गृहों के बंद होने से सैकड़ों लोग बेघर हो जाएंगे। उन्होंने पीठ से कहा कि 6 आश्रय गृह पहले ही बंद किए जा चुके हैं और अब अधिकारी सराय काले खां और आनंद विहार में स्थित 8 अन्य आश्रय गृहों को बंद करने जा रहे हैं, जहां 1,000 से अधिक बेघर लोग रहते हैं। अधिवक्ता भूषण ने पीठ से कहा कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड ने दिल्ली मेट्रो से संबंधित चल रहे निर्माण कार्यों के चलते इन आश्रयों को स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी है और स्थानांतरण के लिए वैकल्पिक स्थलों की पहचान कर ली गई है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि ‘हम नालसा के निदेशक को अपने एक अधिकारी को नियुक्त करने का निर्देश देते हैं ताकि इस मुद्दे की जांच करके समुचित रिपोर्ट पेश करे। पीठ ने नालसा को आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों की संख्या, क्या वैकल्पिक स्थल में लोगों को समायोजित करने की क्षमता है और तीसरा इस बात का पता लगाने का आदेश दिया है कि वैकल्पिक स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं या नहीं। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण से कहा है कि आश्रय स्थलों का निरीक्षण रात 8 बजे के बाद किया जाना चाहिए क्योंकि याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता भूषण ने कहा कि रात में आश्रय लेने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। पीठ ने कहा कि नालसा की रिपोर्ट आने के बाद हम इस मुद्दे पर समुचित आदेश पारित करेंगे। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि ‘हमें अपने अधिकारी पर अविश्वास क्यों करना चाहिए? हम उनसे कह रहे हैं कि वे स्वयं साइट पर जाएं। साथ ही कहा कि अदालत अभी केवल इस मुद्दे पर विचार कर रही है कि आश्रय गृहों के स्थानांतरण की अनुमति दी जाए या नहीं।

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