Supreme Court Orders 40 Lakh Compensation for Illegal Occupation of Sheikh Ali s Tomb in Delhi अदालत से : लोधी युग की गुमटी पर कब्जा, आरडब्ल्यूए भरेगा 40 लाख का हर्जाना, Delhi Hindi News - Hindustan
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अदालत से : लोधी युग की गुमटी पर कब्जा, आरडब्ल्यूए भरेगा 40 लाख का हर्जाना

- शेख अली की गुमटी पर अनधिकृत कब्जा किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 27 March 2025 07:21 PM
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अदालत से : लोधी युग की गुमटी पर कब्जा, आरडब्ल्यूए भरेगा 40 लाख का हर्जाना

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) की ओर से छह दशक से अधिक समय तक लोधी युग के स्मारक ‘शेख अली की गुमटी पर अनधिकृत कब्जा किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया। शीर्ष अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए डिफेंस कॉलोनी आरडब्ल्यूए को क्षतिपूर्ति के तौर पर दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को 40 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। इस रकम का इस्तेमाल 15वीं सदी में निर्मित इस स्मारक के जीर्णोद्धार पर खर्च किया जाएगा। जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने आरडब्ल्यूए को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार करते हुए मुआवजे की रकम पुरातत्व विभाग के समक्ष जमा कराने को कहा है। इसके साथ ही, पीठ ने मामले की अगली सुनवाई सुनवाई आठ अप्रैल तय कर दी है। पीठ ने आरडब्ल्यूए के रवैये और उसके औचित्य पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी की ओर से दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है।

याचिका में प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित की मांग की थी। राजीव सूरी ने उच्च न्यायालय द्वारा 2019 में पारित उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें 15वीं सदी में निर्मित स्मारक पर अतिक्रमण करने और नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। याचिका में कई ऐतिहासिक अभिलेखों का हवाला देते हुए कहा गया था कि इस संरचना का उल्लेख ब्रिटिश काल के पुरातत्वविद मौलवी जफर हसन द्वारा 1920 में किए गए दिल्ली के स्मारकों के सर्वेक्षण में मिलता है।

रिपोर्ट पर विचार करने के बाद आदेश दिया

इससे पहले, पीठ ने आरडब्ल्यूए से यह बताने के लिए कहा था कि संरक्षित धरोहर पर अनधिकृत कब्जा करने के लिए उस पर कितना हर्जाना लगाया जाए। साथ ही, पीठ ने पुरातत्व विभाग को स्मारक के जीर्णोद्धार के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आरडब्ल्यूए से भूमि और विकास कार्यालय को स्मारक शांतिपूर्ण तरीके से कब्जा सौंपने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय कला और सांस्कृतिक विरासत न्यास के दिल्ली चैप्टर की पूर्व संयोजक स्वप्ना लिडले की ओर से पेश रिपोर्ट पर विचार करने के बाद आदेश पारित किया था। पीठ के निर्देश पर उन्होंने इमारत का सर्वेक्षण और निरीक्षण करने के साथ स्मारक को हुए नुकसान और इसके मूलस्वरूप को बहाल करने के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की है।

एएसआई को लगाई थी फटकार

शीर्ष अदालत ने नवंबर 2024 में डिफेंस कॉलोनी में स्मारक की सुरक्षा करने में विफल रहने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की खिंचाई की थी। पीठ ने पुरातत्व विभाग के अधिकारी को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि आप किस तरह के निकाय हैं? आपका जनादेश क्या है? आप प्राचीन संरचनाओं की रक्षा करने के अपने ही जनादेश से पीछे हट गए हैं। हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं।

सीबीआई ने भी सौंपी थी जांच रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में सीबीआई से उन परिस्थितियों की जांच करने को कहा था, जिसके तहत स्मारक को आरडब्ल्यूए द्वारा अपने कार्यालय के रूप में कब्जा कर ली गई। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि आरडब्ल्यूए द्वारा इस स्मारक में कई बदलाव किए गए थे, जिसमें एक छत भी शामिल थी। शीर्ष अदालत को यह भी बताया गया कि 2004 में, भारतीय पुरातत्व विभाग ने मकबरे को संरक्षित स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन निवासियों के संगठन की आपत्ति के बाद अपने पैर खींच लिए। 2008 में, केंद्र सरकार ने इसे संरक्षित संरचना घोषित करने की योजना को छोड़ दिया। सीबीआई ने इस बात का संकेत दिया कि आरडब्ल्यूए इस संरचना का अपने कार्यालय के रूप में उपयोग कर रहा था।

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