वक्फ संशोधन कानून पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को होगी सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाने की सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं और केंद्र को लिखित नोट दाखिल करने का आदेश दिया गया...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस बात पर सुनवाई करेगा कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं। शीर्ष ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई 20 मई तक स्थगित करते हुए कहा था कि मामले में विस्तार से सुनवाई के बाद इस बारे में विचार करेंगे कि संशोधित कानून पर अंतरिम रोक लगाने की जरूर है या नहीं। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं को अपना-अपना लिखित नोट दाखिल करने का आदेश दिया था। साथ ही यह साफ कर दिया था कि वक्फ संशोधन कानून 2025 पर रोक लगाई जाए या नहीं, इस सवाल पर विचार करते समय वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों को चुनौती देने वाले कुछ हिन्दू पक्षकारों की याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाएगा।
केंद्र और याचिकाकर्ताओं की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में संक्षिप्त नोट दाखिल किया गया है। केंद्र सरकार ने 143 पन्नों के संक्षिप्त नोट में पीठ से आग्रह किया है कि इस कानून पर किसी भी तरह की अंतरिम रोक नहीं लगाए। केंद्र ने कहा है कि कानून में यह स्पष्ट स्थिति है कि संवैधानिक न्यायालय किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगे, तथा अंतिम रूप से मामले पर निर्णय लेंगे। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मौजदा याचिकाएं काल्पनिक आधार पर दाखिल की गई है। साथ ही कहा है कि मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के तथ्यों और वास्तविक उदाहरणों पर विशिष्ट दलीलों के अभाव में, शीर्ष अदालत द्वारा किसी कानून के संचालन पर रोक लगाने का आदेश, वह भी एक नवजात अवस्था में, जिसमें इसे पूर्ण रूप से प्रभावी होने की अनुमति भी नहीं दी गई है, प्रतिकूल होगा। सरकार ने कहा है कि न्यायिक समीक्षा 2025 के संशोधनों की आधारशिला है, जो अधिनियम के तहत लिए गए किसी भी निर्णय पर माननीय उच्च न्यायालयों को पुनरीक्षण शक्तियां प्रदान करती है। दूसरी तरफ याचिकाओं ने अपनी संक्षिप्त नोट में सुप्रीम कोर्ट से वक्फ संशोधन अधिनियम पर रोक लगाने की मांग की है। पिछली सुनवाई पर पीठ ने कहा था कि अगली सुनवाई तक सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा 17 अप्रैल को इस अदालत में दिए गए आश्वासन प्रभावी रहेगा। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने शीर्ष अदालत में कहा था कि अगली सुनवाई तक पंजीकृत या गैर पंजीकृत या उपयोगकर्ताओं द्वारा घोषित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। साथ ही कहा था कि केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में नई नियुक्तियां नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया है कि ‘यह कानून मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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