
सहारा निवेशकों के भुगतान को पांच हजार करोड़ जारी करने का आदेश
संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के निवेशकों को बकाया राशि लौटाने के लिए सेबी द्वारा जमा ₹5000 करोड़ के नए वितरण को मंजूरी दी। कोर्ट ने राशि के हस्तांतरण की प्रक्रिया को तेज करते हुए इसे 31 दिसंबर, 2026 तक...
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सहारा समूह द्वारा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में जमा कराई गई धनराशि में से 5,000 करोड़ रुपये के नए वितरण की अनुमति दे दी, ताकि सहारा समूह की सहकारी समितियों के निवेशकों की बकाया रकम वापस की जा सके। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सहारा के निवेशकों को बकाया रकम भुगतान करने के लिए सेबी के समक्ष जमा रकम में से कुछ हिस्सा जारी करने का आदेश देने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के आग्रह को स्वीकार करते अनुमति दे दी।

शीर्ष अदालत ने मार्च 2023 के आदेश और शुक्रवार को पारित आदेश के अनुसार निवेशकों को जारी राशि के वितरण की समयावधि बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2026 तक कर दी है। हालांकि, बाद में सेबी की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ से इस आदेश को सोमवार तक के लिए स्थगित करने और सक्षम प्राधिकार से निर्देश प्राप्त करने और अदालत को सूचित करने के लिए समय देने का आग्रह किया। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने समय देने या अपने आदेश स्थगित करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि मार्च, 2023 अदालत की एक अन्य पीठ द्वारा 5000 करोड़ रुपये की राशि जारी करने का निर्देश दिया था, यह देखते हुए कि ‘सहारा-सेबी रिफंड खाते में कुल 24,979.67 करोड़ रुपये जमा है, जिसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। रकम केंद्रीय रजिस्ट्रार को हस्तांतरित की जाएगी सुप्रीम कोर्ट ने 5000 करोड़ रुपये की नई राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते से सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार को हस्तांतरित की जाएगी। सहकारी समिति सहारा समूह के सहकारी समिति में जमाकर्ताओं के वैध बकाये के बदले इसे वितरित करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रकम का हस्तांतरण सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की देखरेख में और शीर्ष कोर्ट के मार्च, 2023 के आदेश में उल्लिखित तरीके से 1 सप्ताह के भीतर किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पिनाक पाणि मोहंती नामक व्यक्ति की ओर से दाखिल जनहित याचिका में केंद्र सरकार द्वारा दाखिल अर्जी पर विचार करते हुए दिया। मोहंती ने अपनी याचिका में चिटफंड कंपनियों और सहारा क्रेडिट फर्मों के निवेशकों को भुगतान के लिए आदेश देने की मांग की है। 32 लाख और निवेशक दावा कर सकते हैं केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि पहले जारी की गई राशि निर्धारित समय सीमा में जमाकर्ताओं को वितरित नहीं की जा सकी और उस पर ब्याज अर्जित हुआ। कोर्ट को बताया गया कि अब तक दावा की गई कुल राशि 1,13,504.124 करोड़ रुपये थी। सरकार ने कहा कि 26,25,090 वास्तविक जमाकर्ताओं को कुल 5,053.01 करोड़ रुपये की धनवापसी वापस कर दी गई है। पीठ को यह भी बताया कि 13,34,994 और निवेशकों ने पोर्टल पर दावे दर्ज किए हैं, जो जांच के विभिन्न चरणों में हैं। इन निवेशकों द्वारा कुल दावा लगभग 27,849.95 करोड़ रुपये बनता है। साथ ही कहा कि अनुमान है कि दिसंबर 2026 तक लगभग 32 लाख और निवेशक दावा दायर कर सकते हैं।

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