सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा पाए दोषी को बरी किया
सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए कैदी को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि मौत की सजा देने से पहले बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। अभियोजन पक्ष साक्ष्य साबित करने में असफल रहा। यह...

सुप्रीम कोर्ट ने एक लड़की से दुष्कर्म और हत्या के लिए दोषी और मौत की सजा पाए कैदी को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि ‘जल्दबाजी में सुनाई गई मौत की सजा कानून के शासन को कमजोर करती है। मामले में दुष्कर्म पीड़िता का शव 2014 में मिला था। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अभियोजन पक्ष द्वारा अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए परिस्थितियों की ‘पूर्ण और अटूट श्रृंखला साबित करने में विफलता को रेखांकित किया। पीठ ने नवंबर 2014 में उत्तराखंड के काठगोदाम पुलिस थाने में दर्ज मामले में सात साल की जेल की सजा पाए सह-अभियुक्त को भी बरी कर दिया।
पीठ ने 10 सितंबर के अपने फैसले में कहा कि निचली अदालतों के साथ-साथ उच्च न्यायालयों को भी मौत की सजा देने से पहले अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। पीठ ने कहा कि मृत्युदंड की ‘अपरिवर्तनीय प्रकृति के कारण मौत की सजा केवल ‘दुर्लभतम मामलों में ही सुनाई जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मामले में जरा सा भी संदेह या पुख्ता साक्ष्य नहीं होने पर ऐसी सजा सुनाने से बचा जाना चाहिए। यह फैसला उत्तराखंड हाईकोर्ट के अक्तूबर 2019 के आदेश को चुनौती देने वाली दो दोषियों की अपील पर आया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




