लीबिया में फंसे सत्रह भारतीयों को बचाया
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू के नागरिक रविवार शाम दिल्ली पहुंचे एजेंटों ने इटली...

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू के नागरिक रविवार शाम दिल्ली पहुंचे
एजेंटों ने इटली की बजाय लीबिया भेजा, 26 मई को मिली फंसने की सूचना
नई दिल्ली, एजेंसी। लीबिया में एक सशस्त्र समूह द्वारा बंदी बनाए गए 17 भारतीय नागरिकों को बचा लिया गया है। अधिकांश पंजाब-हरियाणा निवासी इन लोगों को तस्करी कर वहां ले जाया गया था। इटली भेजने की बजाय एजेंटों ने इन्हें लीबिया भेज दिया था। विदेश मंत्रालय द्वारा बचाए गए ये नागरिक रविवार रात साढ़े 8 बजे दिल्ली पहुंचे।
सूत्रों के अनुसार, ट्यूनिशिया की राजधानी ट्यूनिश में स्थित भारतीय दूतावास ने 17 भारतीयों को निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उल्लेखनीय है कि उत्तरी अफ्रीका में ट्यूनिशिया, लीबिया का पड़ोसी देश है। बचाए गए भारतीयों में 8 हरियाणा से, 4 पंजाब, 1 जम्मू और 4 हिमाचल प्रदेश के हैं। यह मामला 26 मई को फंसे हुए भारतीय नागरिकों के परिजनों द्वारा ट्यूनिश में भारतीय दूतावास के ध्यान में लाया गया था। भारतीयों को लीबिया के ज़वारा शहर में एक सशस्त्र समूह द्वारा बंदी बना लिया गया था, क्योंकि उन्हें उस देश में तस्करी कर लाया गया था। उन्हें त्रिपोली की जेल में रखा गया। एजेंटों ने उन्हें धोखा दिया था। उन्हें इटली जाना था, लेकिन लीबिया भेज दिया।
उन्होंने कहा कि ट्यूनिश में भारतीय दूतावास ने मई और जून के दौरान नियमित रूप से लीबियाई अधिकारियों के साथ बात की। इसके अलावा अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से भी इस मामले को उठाया। 13 जून को लीबियाई अधिकारी भारतीय नागरिकों को बचाने में सफल रहे। लेकिन उन्हें अपनी हिरासत में रखा, क्योंकि वे अवैध रूप से देश में दाखिल हुए थे।
ट्यूनिश में हमारे राजदूत और विदेश मंत्रालय नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों के उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के बाद लीबियाई अधिकारी उन्हें रिहा करने पर सहमत हुए। लीबिया में उनके प्रवास के दौरान, भारतीय दूतावास ने भारतीयों की ज़रूरतों का ध्यान रखा। उन्हें आवश्यक खाद्य पदार्थ, दवाएं और कपड़े उपलब्ध कराए गए।
भारत लौटे लोगों ने कहा कि चूंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं था, इसलिए उनकी भारत यात्रा के लिए आपातकालीन प्रमाणपत्र जारी किए गए थे। भारत लौटने के लिए टिकट भी भारतीय दूतावास द्वारा उपलब्ध कराए गए। एक युवा ने कहा, मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि अपने बच्चे को ट्रैवल एजेंट के माध्यम से न भेजें। उन्होंने लीबिया में चार महीने खराब स्थिति में बिताए। लीबिया के जेल अधिकारियों ने उन्हें चार-पांच दिनों तक खाना नहीं दिया।
जयशंकर ने भारतीय दूतावास की सराहना की
ट्यूनीशिया में भारतीय दूतावास द्वारा 17 युवाओं को लीबिया से सफलतापूर्वक वापस लाए जाने के बाद, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को दूतावास के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ट्यूनिश में भारतीय दूतावास ने बहुत अच्छा काम किया है। मोदी सरकार द्वारा ‘भारतीय समुदाय कल्याण कोष को मजबूत करना ऐसे अवसरों पर विशेष रूप से उपयोगी है। जयशंकर ने कहा, 17 भारतीय युवा फरवरी से लीबिया में हिरासत में थे। ट्रैवल एजेंटों ने धोखा देकर उन्हें इटली के बजाय लीबिया भेज दिया था। ये इटली जाने वाले थे लेकिन लीबिया पहुंच गए। इन्हें वहां गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं, ट्यूनीसिया में भारतीय दूतावास ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट कहा, 17 भारतीय 20 अगस्त को शाम 8:30 बजे गल्फ एयर की उड़ान से सुरक्षित भारत पहुंच गए। पिछले महीने त्रिपोली जेल से रिहा होने के बाद 17 युवाओं को लीबिया से निकाला गया।
सांसद विक्रमजीत ने उठाया था मामला
इन भारतीयों को निकालने में आप के राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने अहम भूमिका निभाई। विक्रमजीत सिंह साहनी ने इन युवाओं से संपर्क किया। इसके बाद साहनी ने विदेश मंत्रालय से संपर्क कर इन्हें निकलने के लिए पत्र लिखा। इसके बाद उन्होंने भारतीय दूतावास के राजदूत से संपर्क किया और उनसे इन लोगों को भारत लाने के लिए कहा। विक्रमजीत सिंह साहनी ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से धोखा देने वाले एजेंटों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। एजेंटों ने प्रत्येक से 13 लाख रुपये लेने के बाद भी उन्हें धोखा दिया। एजेंटों की वजह से उन्हें 6 महीने लीबिया में परेशानी उठानी पड़ी।
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